लोगों की आदतें उनके स्वभाव
का एक बड़ा हिस्सा बन जाती हैं। तभी तो वे क्या बोलते हैं,
समझते हैं और क्या करना चाहते
हैं इसका अंदाजा लगा पाना कठिन हो जाता है। उनका अंदाज़ इतना प्रभावशाली बन जाता है
कि उनके द्वारा बोला गया झूठ भी सच लगने लगता है।
लोगों का अंदाज़
जी हां,
कुछ लोगों का व्यक्तित्व ही
कुछ इस प्रकार का होता है कि वह झूठ को भी सच से बढ़कर प्रदर्शित कर सकते की क्षमता
रखते हैं। इतनी सफाई से झूठ बोलते हैं कि उसके सामने आपको सच्ची बात भी झूठी लगने
लगती है।
झूठ से बचें
लेकिन सच को नीचा दिखाते
हुए बोला गया झूठ आपके लिए बेहद हानिकारक है। इससे जितना हो सके बचें,
परन्तु मुद्दा तो यह है कि ‘हम कैसे पहचानें कि सामने वाला व्यक्ति सच
बोल रहा है या झूठ’?
झूठ का आत्मविश्वास
क्योंकि उसका बोलने का
अंदाज़, उसका
आत्मविश्वास और उसकी ओर से दी गईं दलीलें हमें इस असमंजस में डाल देती हैं कि किस
बात पर विश्वास करें और किस पर नहीं।
कुछ आसान टिप्स
आपकी इसी दुविधा को हल
करने के लिए इस आलेख
में कुछ ऐसे तरीके बताए जा
रहे हैं जो आपको झूठ पकड़ने में मदद कर सकते हैं। यह टिप्स इतने कारगर हैं कि ये एक
विशाल समुद्र में से भी पत्थर का छोटा सा टुकड़ा खोज पाने जितनी क्षमता से लैस हैं।
सच एवं झूठ में फर्क
दरअसल यह कोई जादू-टोना
नहीं है बल्कि ऐसे टिप्स हैं जिन्हें आज़माने पर आप सच एवं झूठ में फर्क खोज सकते
हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है आपकी एकाग्रता। आप जितना ध्यानबद्ध होकर सामने वाले
व्यक्ति की समीक्षा करेंगे, उतना
ही आप समझ पाएंगे कि उसके दिमाग में चल क्या रहा है।
दिलोदिमाग में चल रही बात
दूसरे शब्दों में यह मन
एवं मस्तिष्क में चल रही बात को खींचकर ज़ुबान पर लाने की एक कोशिश है,
जिसके सफल होने की संभावना
काफी ज्यादा होती है। इन आसान टिप्स में आपको जिस व्यक्ति के सच या झूठ का टेस्ट
करना है, उसकी
हर हरकत का ध्यान रखना होगा।
पढ़ें बॉडी लैंग्वेज
सबसे पहले ध्यान दें उसकी
बॉडी लैंग्वेज पर। किसी से बात करते समय जब भी आपको शक हो कि सामने वाला इंसान हो
ना हो आपसे झूठ बोल रहा है तो उसकी बॉडी लैंग्वेज यानी कि उस समय वह किस तरह से
व्यवहार कर रहा है, उस
पर ध्यान दें।
चेहरे की चिंता
यदि बोलते समय वह बेहद आराम
से बैठा है, उसके
चेहरे पर कोई चिंता नहीं है तो इसका मतलब है वह झूठ नहीं बोल रहा। लेकिन इसके
विपरीत यदि बात करते समय अचानक वह अपने हाथ-पांव हिलाने लगे,
हाथों को जेब के भीतर डाल ले
या फिर पांव को बैठे-बैठे हिलाने लगे तो इसका मतलब है कि कुछ गड़बड़ है।
हाथ-पांव की हलचल
उसकी ऐसी हरकत उसके भीतर
चल रही चिंता को दर्शाती है। झूठ बोलते हुए भी उसके पकड़े जाने का भय उससे ऐसे
फिजूल काम करवाता है। अमूमन ऐसी अवस्था में लोग झूठ बोलते समय हाथ-पांव खुजाते हैं
या फिर सिर खुजाते हैं। तभी समझ जाएं कि वह इंसान आपसे कुछ छिपा रहा है।
आंखों की मूवमेंट
बॉडी लैंग्वेज में खास है
आंखों द्वारा की जा रही हरकत। आंखें हमारे मन की खिड़की का काम करती हैं। जो मन में
है वही आंखें उसी रूप में व्यक्त कर देती हैं। यदि बात करते समय कोई पूरे
आत्मविश्वास से आंखों में आंखें मिलाकर बात कर रहा है तो उसके दिल में कोई दोष
नहीं है।
आंखें चुराकर बात करना
लेकिन यदि वह आंखें चुरा
रहा है या फिर बात करते समय उसकी आंखें आपकी बजाय कहीं दूसरी दिशा में हैं तब भी
यह उसके द्वारा बोले जा रहे झूठ की निशानी है। कई बार बातों को छिपाने के लिए भी
लोग बोलते हुए ज़मीन की ओर देखते हैं।
आवाज़ की थरथराहट को पहचानें
केवल आंखों की घबराहट ही
नहीं, आवाज़ की थरथराहट
भी बोले गए झूठ को बखूबी व्यक्त कर देती है। अचानक आवाज़ की टोन का बदल जाना,
या फिर जानबूझकर कुछ छुपाते
हुए जल्दी में बात करना। इतना ही नहीं, आवाज़ की हिचकिचाहट भी झूठ का पर्दाफाश कर देती है।
हिचकिचाहट
ऐसे में आपको इस आवाज़ को
पहचानने की जरूरत है। फर्ज़ कीजिए, आप किसी से बात कर रहे हैं और अचानक अपने मन का कोई शक दूर
करने के लिए आपने उनसे कोई सवाल कर लिया, तभी आगे से आपको चुप्पी मिलती है।
बातों को घुमाना
कुछ पल की शांति और फिर
दोबारा उकसाने पर वह इंसान बातों को घुमाते हुए जब सामान्य गति से तेज़ अंदाज़ में
बात करता है तो तुरंत भांप लें कि वह इंसान आपको झूठी पट्टी पढ़ा रहा है।
तभी कहा जाता है कि किसी व्यक्ति के बोलने के अंदाज़ को समझ पाना ही अपने आप में एक कला के समान है। और यदि आप इसमें सफल हुए तो आपको कोई इंसान भी झूठी बात कहने की हिम्मत नहीं करेगा।
परन्तु कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह जरूरी नहीं कि तेजी से बोलने का संबंध झूठ से ही है। कई बार हड़बड़ाहट में भी इंसान गति बढ़ा लेता है। ऐसे में अपनी दुविधा को दूर करने के लिए आप एक और तरीका अपना सकते हैं।
यदि नॉर्मल तरीके से बात करते हुए आपका दोस्त बहुत धीरे और सोच-सोचकर बात करने लगे तो तब भी यहां शक की संभावना बन जाती है।
तभी कहा जाता है कि किसी व्यक्ति के बोलने के अंदाज़ को समझ पाना ही अपने आप में एक कला के समान है। और यदि आप इसमें सफल हुए तो आपको कोई इंसान भी झूठी बात कहने की हिम्मत नहीं करेगा।
परन्तु कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह जरूरी नहीं कि तेजी से बोलने का संबंध झूठ से ही है। कई बार हड़बड़ाहट में भी इंसान गति बढ़ा लेता है। ऐसे में अपनी दुविधा को दूर करने के लिए आप एक और तरीका अपना सकते हैं।
यदि नॉर्मल तरीके से बात करते हुए आपका दोस्त बहुत धीरे और सोच-सोचकर बात करने लगे तो तब भी यहां शक की संभावना बन जाती है।
यहां बढ़ती है शंका
दरअसल बात केवल गति की
नहीं है, बात
यह है कि आपसे वार्तालाप करते समय यदि अचानक कुछ पूछे जाने पर सामने वाले व्यक्ति
की बोलने की स्पीड में बदलाव आए तो इसका कारण झूठ हो सकता है।