विश्व बैडमिंटन फेडरेशन को आखिरकार अपने उस फैसले को वापस लेने को बाध्य होना पड़ा है, जिसमें कहा गया था कि महिला बैडमिंटन खिलाड़ी एक जून से स्कर्ट पहनकर ही कोर्ट पर उतरेंगी। फेडरेशन की इसकी पीछे व्यवसायिक सोच थी। उसे लगता है कि ऐसा करने पर टेनिस और दूसरे खेलों की तरह दर्शक बैड़मिंटन कोर्ट पर भी जुटने शुरू होंगे और इससे प्रायोजक भी मिलने लगेंगे। अभी हालात यह है कि विभिन्न सुपर सीरीज और खेल प्रतिस्पर्द्धाओं के शुरुआती मैचों में उतने दर्शक नहीं आते हैं, जितनी अपेक्षा रहती है। हां, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबलों में जरूर काफी दर्शक पहुंचते हैं। यह बहुत हद तक मुकाबलों पर भी निर्भर करता है कि वह किन खिलाड़ियों के बीच होता है और खेल का स्तर क्या है। अक्सर देखने में आता है कि जहां मुकाबला हो रहा है, वहां यदि उस देश के खिलाड़ी कोर्ट में नहीं खेल रहे हैं तो स्थानीय दर्शकों की मौजूदगी कम ही रहती है। वैसे बात सोच की है। फेडरेशन की इस सोच पर बहस और विचार की जरूरत है कि यदि महिला खिलाड़ी छोटे साइज के कपड़े पहनकर कोर्ट में उतरेंगी और खेलेंगी तो दर्शक ज्यादा आकर्षित होंगे। ऐसा सोचना कि छोटे कपड़ों में ही लड़कियां अथवा खिलाड़ी ग्लैमर्स लगती हैं, गलत है। सुंदरता कपड़ों में भी उतना ही आकर्षण रखती है। बल्कि अनेक सर्वेक्षणों में यह सिद्ध हो चुका है कि कम कपड़े पहनने वाली महिलाएं अपना आकर्षण शीघ्र खो देती हैं जबकि पारंपरिक परिधानों को धारण करने वाली महिलाएं कहीं अधिक खूबसूरत लगती हैं। लेकिन मामला चूंकि कोर्ट पर खेलने वाली महिला खिलाड़ियों से जुड़ा हुआ है, इसलिये इसे ध्यान में रखना जरूरी है कि वे सूट-सलवार या इसी तरह के कपड़े पहनकर नहीं खेल सकती। और इस तरह के कपड़े पहनकर कोई खेलती भी नहीं है। भारत की साइना नेहवाल सहित दुनिया की कई चोटी की बैड़मिंटन खिलाड़ियों ने स्कर्ट की अनिवार्यता पर नाखुशी जाहिर की थी। हालांकि प्रसारण माध्यमों में साइना ने कहा था कि यदि इसे अनिवार्य कर ही दिया गया तो वे स्कर्ट पहनेंगी लेकिन भारतीय बैड़मिंटन फेडरेशन के जरिये उन्होंने भी अपना एतराज दर्ज करा दिया था। कई अन्य देशों की खिलाड़ियों को भी विश्व बैड़मिंटन फेडरेशन का यह विचार रास नहीं आया था। यही कारण है कि पहले इसे लागू करने की तारीख एक महीना बढ़ाई गई और अब इसे रद्द करते हुए कहा गया है कि इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है।विश्व बैड़मिंटन फेडरेशन को तीखे विरोध के चलते अपना फरमान वापस लेना ही पड़ा।