कोंडागाँव। साहित्य-जगत में बस्तर के
पर्यायवाची बन चुके साहित्य-ऋषि लाला जगदलपुरी की पुण्य स्मृति में
प्रतिवर्ष इन्द्रावती सम्मान दिये जाने की घोषणा 25 अगस्त को यहाँ आयोजित
एक भव्य कार्यक्रम में की गयी। अवसर था बस्तर के वरिष्ठतम व्यंग्यकार
चित्तरंजन रावल की व्यंग्य रचनाओं के संग्रह "व्यंग्य रचनाएँ" के विमोचन
का। विमोचन-समारोह में जगदलपुर एवं नारायणपुर से आमन्त्रित एवं स्थानीय
कवियों द्वारा काव्य-पाठ किया गया। विमोचन किया छत्तीसगढ़ प्रदेश की महिला
एवं बाल विकास मन्त्री सुश्री लता उसेण्डी ने, जो स्वयं भी कोंडागाँव
निवासी तथा कोंडागाँव विधान सभा क्षेत्र से विधायक हैं।
चितरंजन रावल मूलत:
व्यंग्यकार एवं कवि हैं। 80 वर्षीय श्री रावल पिछले कई दशकों से सृजन-रत
हैं और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन पाते रहे हैं। इससे पहले उनका
काव्य-संग्रह "कुचला हुआ सूरज" प्रकाशित हो चुका है।
लाला जगदलपुरी, जिनकी
स्मृति में बस्तर सम्भाग के साहित्यकारों को प्रतिवर्ष दिये जाने वाले
"इन्द्रावती सम्मान" की घोषणा छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद्, कोंडागाँव
जिला इकाई द्वारा हुई है, का जन्म 17 दिसम्बर 1920 को जगदलपुर
(बस्तर-छत्तीसगढ़) में हुआ था। उन्होंने 1936 से लेखन आरम्भ किया था और 1939
से लगातार प्रकाशन पाते रहे। प्रकाशन के साथ ही विभिन्न सम्मानों से भी
वे विभूषित किये गये। साहित्य के क्षेत्र में ऋषि कहे जाने वाले लाला
जगदलपुरी पिछले दिनों 14 अगस्त को हम सबको रोता-बिलखता छोड़ कर अन्तिम
यात्रा के लिये प्रस्थान कर गये। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश भर में अपनी
रचनाओं, विशेषत: बस्तर सम्बन्धी शोधपरक और प्रामाणिक रचनाओं के लिये ख्यात
लालाजी ने साहित्य-सेवा के चलते विवाह तक नहीं किया था। उनकी जीवन-संगिनी
थी उनकी लेखनी और सन्तान थी उनका लेखन। उनके निधन का समाचार पाते ही बस्तर
सम्भाग के गाँव-गाँव में शोक-सभाएँ आयोजित कर उन्हें अश्रुपूरित
श्रद्धांजलि दी गयी। हाल ही में बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर
(बस्तर-छत्तीसगढ़) द्वारा उन्हें डी.लिट्. की मानद उपाधि से विभूषित किये
जाने की घोषणा की गयी थी और पद्मश्री से अलंकृत किये जाने की भी चर्चा चल
रही थी।
ज्ञात हो कि उनके
व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित पुस्तक "साहित्य-ऋषि लाला जगदलपुरी :
लाला जगदलपुरी समग्र" दो खण्डों में दिल्ली के यश प्रकाशन से शीघ्र ही
प्रकाशित हो कर पाठकों के बीच आ रही है।
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