"बस्तर
के महाकवि", "साहित्य ऋषि" और "अक्षरादित्य" आदि नामों से जाने जाने वाले
प्रणम्य साहित्यकार लाला जगदलपुरी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद
करने के लिये 17 दिसम्बर 2015 को कोंडागाँव
में "लाला जगदलपुरी जयंती" आयोजित करने का निर्णय "लाला जगदलपुरी जयंती
आयोजन समिति" कोंडागाँव द्वारा लिया गया है।
स्मरण
रहे कि 17 दिसम्बर 1920 को जगदलपुर में जन्मे और लम्बी अस्वस्थता के बाद
93 वर्ष की आयु में 14 अगस्त 2013 की संध्या 07.00 बजे प्रयाण कर गये लाला
जगदलपुरी जी ने साहित्य के माध्यम से बस्तर की अप्रतिम सेवा की। हिन्दी के
साथ-साथ हल्बी, भतरी एवं छत्तीसगढ़ी में भी कविता, गीत, मुक्तक, नाटक,
एकांकी, निबंध आदि साहित्य की अनेकानेक विधाओं पर 1936 से सृजन आरम्भ करने
वाले लालाजी ने अपने अन्तिम समय से कुछ ही दिनों पहले अपनी अस्वस्थता के
कारण लेखन-कर्म छोड़ दिया था। उनकी पुस्तक "बस्तर : इतिहास एवं संस्कृति" ने
उन्हें पूरे देश में चर्चित कर दिया था। यह पुस्तक "मध्यप्रदेश हिन्दी
ग्रंथ अकादमी", भोपाल से प्रकाशित हुई थी और इसकी इतनी माँग थी कि प्रकाशक
को इसके कई-कई संस्करण प्रकाशित करने पड़े। आज यह पुस्तक उपलब्ध नहीं है
जबकि माँग जस-की-तस बनी हुई है। इसी माँग को देखते हुए शीघ्र ही इसका नया
संस्करण राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित होने जा रहा है। उनकी
अन्तिम पुस्तक "बस्तर की लोक कथाएँ" (हरिहर वैष्णव के साथ सम्पादित) 2012
में नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित हुई। यह पुस्तक भी पूरे देश में चर्चित
हुई और आज भी हो रही है। इसके भी अब तक दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।
उन्हें अन्यानेक सम्मानों के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य के सर्वोच्च राजकीय
साहित्य सम्मान "पं. सुन्दरलाल शर्मा साहित्य/आंचलिक साहित्य अलंकरण" से
2005 में विभूषित किया गया था।
इस आयोजन में लालाजी के सम्पर्क में रहे किन्तु अब बस्तर से बाहर रह
रहे कई ख्यातनाम साहित्यकार शिरकत करेंगे।
(हरिहर वैष्णव)
संयोजक
लाला जगदलपुरी जयंती आयोजन समिति
कोंडागाँव
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