17 जनवरी 2007 के न्यू साइन्टिस्ट में एक आनलाइन लेख प्रकाशित हुआ था कि एक सस्ती और सामान्य दवा के द्वारा ज़्यादातर कैंसर खत्म हो सकते हैं केवल उनकी अमरता को समाप्त करके। डाइक्लोरोएसिटेट (डीसीए) दवा को पिछले कई वर्षों से दुर्लभ मेटाबॉलिक विकार के इलाज में इस्तेमाल किया जाता रहा है और यह दवा सुरक्षित उपचार के रूप में जानी जाती है। इस दवा के लिए कोई पेटेंट नहीं है, इसका मतलब है कि इस दवा को किसी भी नई विकसित दवा की कीमत से बहुत कम में बनाया जा सकता है। कनाडा की युनिवर्सिटी ऑफ एलबर्टा के एवानगेलास माइकेलाकिस और उनके साथियों ने डीसीए का परीक्षण शरीर के बाहर मनुष्य कोशिकाओं के कल्चर के साथ किया तो पाया कि यह फेफड़े, स्तन और मस्तिष्क कैंसर कोशिकाओं को मारती है, जबकि स्वस्थ मानव कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करती है। मनुष्य कैंसर कोशिका के द्वारा चूहों में कैंसर पैदा करवाया गया। पानी में डीसीए घोलकर कुछ हफ्तों तक चूहों को देने के बाद देखा तो पाया कि उनमें भी कैंसर कोशिकाएं कम हो गर्इं थीं। डीसीए कैंसर कोशिका के एक महत्वपूर्ण गुण पर आक्रमण करता है। कैंसर कोशिकाएं ऊर्जा उत्पादन का काम माइट्रोकॉण्ड्रिया में नहीं बल्कि पूरी कोशिका में सम्पन्न करती हैं। इस प्रक्रिया को ग्लाइकोलिसिस कहते हैं। अभी तक यह अनुमान था कि कैंसर कोशिकाएं ग्लाइकोलिसिस का इस्तेमाल करती हैं क्योंकि उनके माइट्रोकॉण्ड्रिया नष्ट हो जाते हैं। माइकेलाकिस के प्रयोग से पता चलता है कि कैंसर कोशिकाओं के माइटोकॉण्ड्रिया खत्म नहीं होते। डीसीए कैंसर कोशिका में माइट्रोकॉण्ड्रिया को पुन: सक्रिय कर देती है। इसके बाद कोशिका मर जाती है। माइकेलाकिस का कहना है ऊर्जा के रुाोत के रूप में ग्लाइकोलिसिस का उपयोग तब शुरू होता है जब कोशिका किसी गठान के असामान्य पर्यावरण में होती हैैं। इसके चलते माइट्रोकॉण्ड्रिया को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है। इसके बाद वे जीवनयापन के लिए अपने माइटोकॉण्ड्रिया को बंद करके गलाइकोलिसिस के ज़रिए ऊर्जा उत्पन्न करने लगती हैं। मगर माइट्रोकॉण्ड्रिया कोशिका में एक और काम करता है - एपोप्टोसिस। एपोप्टोसिस वह प्रक्रिया है जिसके ज़रिए कोशिका खुदकुशी करती है। जब कोशिका अपने माइटोकॉण्ड्रिया को बंद कर देती है तो वे अमर बन जाती हैं। डीसीए के द्वारा एपोप्टोसिस दोबारा सक्रिय होता है और असामान्य कोशिका को मरने के लिए प्रोत्साहित करता है। युनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स कैंसर सेंटर के डायरेक्टर दारियो एलटिरी का कहना है कि इस दवा के परिणाम बहुत दिलचस्प हैं क्योंकि इसमें माइट्रोकॉण्ड्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है और स्पष्ट हुआ है कि इसे कैंसर के इलाज में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। पता नहीं कि इस दिशा में आगे क्या कदम उठाए गए हैं। (रुाोत फीचर्स)
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