गुरुवार, 27 जनवरी 2022

शब्दों का संसार

 

शब्द रचे जाते हैं,

शब्द गढ़े जाते हैं,

शब्द मढ़े जाते हैं,

शब्द लिखे जाते हैं,

शब्द पढ़े जाते हैं,

शब्द बोले जाते हैं,

शब्द

तौले जाते हैं,

शब्द टटोले जाते हैं,

शब्द खंगाले जाते हैं,

#अंततः

शब्द बनते हैं,

शब्द

संवरते हैं,

शब्द सुधरते हैं,

शब्द निखरते हैं,

शब्द हंसाते हैं,

शब्द मनाते हैं,

शब्द

रूलाते हैं,

शब्द मुस्कुराते हैं,

शब्द खिलखिलाते हैं,

शब्द गुदगुदाते हैं,

शब्द मुखर हो

जाते हैं,

शब्द प्रखर हो जाते हैं,

शब्द मधुर हो जाते हैं,

फिर भी-

शब्द चुभते हैं,

शब्द

बिकते हैं,

शब्द रूठते हैं,

शब्द घाव देते हैं,

शब्द ताव देते हैं,

शब्द लड़ते हैं,

शब्द

झगड़ते हैं,

शब्द बिगड़ते हैं,

शब्द बिखरते हैं

शब्द सिहरते हैं,

#किंतु-

शब्द मरते

नहीं,

शब्द थकते नहीं,

शब्द रुकते नहीं,

शब्द चूकते नहीं,

अतएव-

शब्दों से खेले

नहीं,

बिन सोचे बोले नहीं,

शब्दों को मान दें,

शब्दों को सम्मान दें,

शब्दों पर ध्यान

दें,

शब्दों को पहचान दें,

ऊँची लंबी उड़ान दे,

शब्दों को आत्मसात करें...

उनसे उनकी

बात करें,

शब्दों का अविष्कार करें...

गहन सार्थक विचार करें,

क्योंकि-

शब्द

अनमोल हैं...

ज़ुबाँ से निकले बोल हैं,

शब्दों में धार होती है,

शब्दों की महिमा अपार होती है

शब्दों का विशाल भंडार होता है,

और सच तो यह है कि-

शब्दों का अपना

एक संसार होता है

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