भोपाल. भोपाल से प्रकाशित शोध पत्रिका समागम का अप्रेल अंक हिन्दी
पत्रकारिता के यशस्वी पत्रकार राजेन्द्र माथुर पर एकाग्र होगा.
मध्यप्रदेश के मालवांचल से निकले राजेन्द्र माथुर ने समूचे देश में
हिन्दी पत्रकारिता को शीर्ष पर स्थापित किया. अंगे्रेजी के विद्वान
राजेन्द्र माथुर ने माटी के सपूत होने का परिचय देेेते हुये हिन्दी
पत्रकारिता को एक नयी पहचान दिलाकर मिथक बन गये. इस आशय की जानकारी शोध
पत्रिका समागम के सम्पादक मनोज कुमार ने दी. उल्लेखनीय है कि राजेन्द्र माथुर के उल्लेख के बिना हिन्दी पत्रकारिता पर चर्चा होना लगभग असंभव सा है. समागम का यह अंक वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता की चुनौतियां और राजेन्द्र माथुर पर केन्द्रित है. नईदुनिया से अपनी पत्रकारिता आरंभ करने वाले राजेन्द्र माथुर पर केवल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि समूची हिन्दी पत्रकारिता गर्व करती है. 9 अप्रेल को उनकी पुण्यतिथि है और इस अवसर पर हिन्दी पत्रकारिता के महामना का स्मरण करते हुये हिन्दी पत्रकारिता में राजेन्द्र माथुर के बाद कौन, तलाश करने का एक विनम्र प्रयास है.
पत्रिका समागम के सम्पादक मनोज कुमार ने दी. उल्लेखनीय है कि राजेन्द्र माथुर के उल्लेख के बिना हिन्दी पत्रकारिता पर चर्चा होना लगभग असंभव सा है. समागम का यह अंक वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता की चुनौतियां और राजेन्द्र माथुर पर केन्द्रित है. नईदुनिया से अपनी पत्रकारिता आरंभ करने वाले राजेन्द्र माथुर पर केवल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि समूची हिन्दी पत्रकारिता गर्व करती है. 9 अप्रेल को उनकी पुण्यतिथि है और इस अवसर पर हिन्दी पत्रकारिता के महामना का स्मरण करते हुये हिन्दी पत्रकारिता में राजेन्द्र माथुर के बाद कौन, तलाश करने का एक विनम्र प्रयास है.
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