जगदलपुरत। बस्तर के वयोवृद्ध लोक रचनाकार लाला जगदलपुरी अब डॉ. लाला जगदलपुरी कहलाने लगेंगे। बस्तर विश्वविद्यालय ने ३१ मार्च को हुई विद्या परिषद और कार्य परिषद की बैठक में लाला जी को डी. लिट की मानद उपाधि देना तय किया है। कुलपति डॉ. एनडीआर चंद्र की उपस्थिति में लिए गए इस निर्णय का बस्तर के रचनाकारों ने स्वागत किया है। साहित्य-ऋषि 92 वर्षीय श्रद्धेय लाला जगदलपुरी जी को मिले इस सम्मान से समूचा छत्तीसगढ़ गौरवान्वित है। अपनी प्रसन्नता को यदि हम सब लाला जगदलपुरी के साथ भी बॉटना चाहेंगे। तो उन्हें इस पते पर बड़े अक्षरों में पत्र लिखें। छोटे अक्षर वे पढ़ नहीं पाते। अउनका पता है : कवि निवास, डोकरीघाट पारा, जगदलपुर 494001 (बस्तर-छत्तीसगढ़)। इसके साथ ही बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति आदरणीय प्रोफेसर एन. डी. आर.चन्द्र को भी धन्यवाद का पत्र अवश्य ही लिखने की कृपा करें। सचमुच! प्रोफेसर चन्द्र धन्यवाद के पात्र हैं और उन्होंने लाला जी को डी.लिट्.की मानद उपाधि से विभूषित किये जाने के लिये अपनी ओर से अथक प्रयास किया और कार्य परिषद् में इस आशय का प्रस्ताव पारित करवा लिया। उन्होंने वह कार्य किया है जो पं. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर और गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर नहीं कर सके।
ज्ञात हो लाला जगदलपुरी ने अपने दीर्घ लेखन काल में बस्तर के लोक जनजीवन के हर पहलुओं को लिपिबद्ध कर पुस्तक का रूप दिया है। मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की ओर से उनकी पुस्तक बस्तर संस्कृति और इतिहास को काफी पसंद किया गया है। इसके अलावा अन्य किताबों में भी लाला जी का बस्तर प्रेम खुलकर सामने आता है। फिलहाल लाला जी अपने कवि निवासी में अस्वस्थ हैं और उनकी श्रवण शक्ति भी पहले से कमजोर हो चुकी है।
वो सम्मानों से ऊपर हैं ,उनको सम्मानित कर सम्मान भी सम्मानित हुआ है.
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