अजब-गजब : कूड़ेदान जो आपको पूरी दुनिया से जोड़ने की क्षमता रखता है
स्वच्छ भारत अभियान से इतर दो भारतीय युवाओं ने गंदगी से निजात दिलाने की एक अनूठी तरकीब खोज निकाली है. इस तरकीब से एक ओर सफाई होती है तो दूसरी ओर लोगों को मुफ्त वाई-फाई का लाभ भी मिलता है. मुम्बई में रहने वाले पंकज अग्रवाल और राज देसाई ने मिलकर एक ऐसा कूड़ेदान बनाया है जो स्वयं ही लोगों को कूड़ेदान के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करता है. दरअसल, इस कूड़ेदान को इस तरह से बनाया गया है कि जब भी कोई व्यक्ति इसमें कूड़ा डालता है तो इसके ऊपर लगी स्क्रीन पर एक कोड लिखा आता है. यह कोड ही उस इलाके में लगे वाई-फाई का पासवर्ड होता है जिसे मोबाइल या लैपटॉप में डालते ही मुफ्त वाई-फाई की सुविधा का लाभ मिलना शुरू हो जाता है.
टेक-चैटपंकज और राज दोनों स्वप्रशिक्षित प्रोग्रामर हैं. पंकज अग्रवाल बताते हैं कि नीदरलैंड और सिंगापुर की सामाजिक संरचना देखकर उन्हें लगा कि भारत में सफाई को लेकर लोगों की सोच को बदलने कि जरूरत है. उनके साथी राज देसाई के अनुसार वाई-फाई वाले कूड़ेदान का विचार उन्हें कुछ बड़े म्यूजिक फेस्ट में जाने के बाद आया. वे बताते हैं कि रात भर चलने वाले ये कार्यक्रम अक्सर शहरों से दूर होते हैं. यहां मोबाइल नेटवर्क और इन्टरनेट सुविधाएं न होने के कारण लोगों को काफी तकलीफ होती है. ऐसी जगहों पर खाने-पीने के बाद होने वाली गंदगी भी एक बड़ी समस्या होती है. ऐसे में इन दो युवाओं ने एक ऐसा प्रयोग करने की ठानी जो गंदगी मिटाने के साथ ही संपर्क साधनों की कमी भी पूरी कर सके. इसके बाद ही इन्होने वाई-फाई ट्रैश बिन इजाद किया.
दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता के कई कार्यक्रमों में इन कूड़ेदानों का सफल उपयोग हो चुका है. इन कार्यक्रमों में यह भी देखा गया है कि लोग वाई-फाई के लिए अपना कचरा न होने पर किसी दूसरे के द्वारा की गई गंदगी को भी ढूंढ़-ढूंढ़कर कूड़ेदान में डाल रहे थे. शुरुआत में अपने पैसों से ही काम करने वाले इन युवाओं को अब मोबाइल नेटवर्क कंपनी एमटीएस की भी मदद मिल रही है. पंकज बताते है कि उनकी पहल अब सभी को सफाई के लिए प्रेरित कर रही है और साथ ही तकनीक से जुडी कई कंपनियां भी उनकी इस मुहीम में दिलचस्पी दिखा रही हैं.
स्वच्छ भारत अभियान से इतर दो भारतीय युवाओं ने गंदगी से निजात दिलाने की एक अनूठी तरकीब खोज निकाली है. इस तरकीब से एक ओर सफाई होती है तो दूसरी ओर लोगों को मुफ्त वाई-फाई का लाभ भी मिलता है. मुम्बई में रहने वाले पंकज अग्रवाल और राज देसाई ने मिलकर एक ऐसा कूड़ेदान बनाया है जो स्वयं ही लोगों को कूड़ेदान के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करता है. दरअसल, इस कूड़ेदान को इस तरह से बनाया गया है कि जब भी कोई व्यक्ति इसमें कूड़ा डालता है तो इसके ऊपर लगी स्क्रीन पर एक कोड लिखा आता है. यह कोड ही उस इलाके में लगे वाई-फाई का पासवर्ड होता है जिसे मोबाइल या लैपटॉप में डालते ही मुफ्त वाई-फाई की सुविधा का लाभ मिलना शुरू हो जाता है.
टेक-चैटपंकज और राज दोनों स्वप्रशिक्षित प्रोग्रामर हैं. पंकज अग्रवाल बताते हैं कि नीदरलैंड और सिंगापुर की सामाजिक संरचना देखकर उन्हें लगा कि भारत में सफाई को लेकर लोगों की सोच को बदलने कि जरूरत है. उनके साथी राज देसाई के अनुसार वाई-फाई वाले कूड़ेदान का विचार उन्हें कुछ बड़े म्यूजिक फेस्ट में जाने के बाद आया. वे बताते हैं कि रात भर चलने वाले ये कार्यक्रम अक्सर शहरों से दूर होते हैं. यहां मोबाइल नेटवर्क और इन्टरनेट सुविधाएं न होने के कारण लोगों को काफी तकलीफ होती है. ऐसी जगहों पर खाने-पीने के बाद होने वाली गंदगी भी एक बड़ी समस्या होती है. ऐसे में इन दो युवाओं ने एक ऐसा प्रयोग करने की ठानी जो गंदगी मिटाने के साथ ही संपर्क साधनों की कमी भी पूरी कर सके. इसके बाद ही इन्होने वाई-फाई ट्रैश बिन इजाद किया.
दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता के कई कार्यक्रमों में इन कूड़ेदानों का सफल उपयोग हो चुका है. इन कार्यक्रमों में यह भी देखा गया है कि लोग वाई-फाई के लिए अपना कचरा न होने पर किसी दूसरे के द्वारा की गई गंदगी को भी ढूंढ़-ढूंढ़कर कूड़ेदान में डाल रहे थे. शुरुआत में अपने पैसों से ही काम करने वाले इन युवाओं को अब मोबाइल नेटवर्क कंपनी एमटीएस की भी मदद मिल रही है. पंकज बताते है कि उनकी पहल अब सभी को सफाई के लिए प्रेरित कर रही है और साथ ही तकनीक से जुडी कई कंपनियां भी उनकी इस मुहीम में दिलचस्पी दिखा रही हैं.
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