टेक-चैट : कांटेक्ट लेंस जो किसी भी दृश्य को 'जूम इन' और 'जूम आउट' कर सकता हैअभय शर्मा
आविष्कार : एक कांटेक्ट लेंस जो किसी भी दृश्य को बड़ा या छोटा कर सकता है
कैसा लगेगा जब कोई कहे कि आंख में लगा एक कान्टेक्ट लेंस ही अब दूरबीन
का काम करने लगा है? अविश्वसनीय? लेकिन अब यह सच होने जा रहा है. अमेरिका
के कुछ शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कांटेक्ट लेंस बना लिया है जिससे ‘ज़ूम इन’ और
‘ज़ूम आउट’ यानी किसी दृश्य को बड़ा या छोटा किया जा सकता है. इसे बनाने
वालों का दावा है कि यह लेंस किसी भी दृश्य को तीन गुना तक ज़ूम कर सकता है
और यह दूर और पास दोनों तरह की कमजोर नजर से पीड़ित लोगों के लिए एक वरदान
साबित होगा. कई परीक्षणों के बाद इसे कैलिफोर्निया के अमेरिकन एसोसिएशन फॉर
एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस के सामने रखा गया है.
इस
लेंस को आंखों में लगाने के बाद यदि केवल दाईं पलक झपकाई जाए तो सामने का
दृश्य कई गुना बड़ा होकर दिखने लगता है. इसी तरह बाईं पलक झपकाने पर यह
छोटा हो जाता है और सामने का दृश्य फिर से सामान्य दिखने लगता है. दरअसल इस
लेंस की डेढ़ मिलीमीटर मोटाई में ही एलुमिनियम की एक शीशेनुमा परत भी है.
यही इस लेंस को ‘ज़ूम इन’ और ‘ज़ूम आउट’ करने में मदद करती है. ‘आंख मारने’
के अंदाज़ में एक पलक झपकाने पर लेंस में लगी इस परत को एक निर्देश चला जाता
है. इससे यह परत और इसके जरिये पूरा लेंस कुछ इस तरह से व्यवस्थित हो जाते
है कि दृश्य बड़ा या छोटा होकर दिखने लगता है.
इस लेंस को आंखों में लगाने के बाद यदि केवल दाईं पलक झपकाई जाए तो सामने का दृश्य कई गुना बड़ा होकर दिखने लगता है. इसी तरह बाईं पलक झपकाने पर यह छोटा हो जाता है
इस लेंस को सबसे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग की रिसर्च टीम ने अपने
ड्रोन कैमरों के लिए बनाया था. लेकिन बाद में उन्हें इस लेंस से मैकुलर
डीजनरेशन नामक आंखों की बीमारी के इलाज की तरकीब सूझी. इस बीमारी में आंखों
के रोशनी ग्रहण करने की क्षमता कमजोर हो जाती है और पीड़ितों को धुंधला
दिखायी देने लगता है. अक्सर यह बीमारी बुजुर्गों में ही पायी जाती है.
इस लेंस को बनाने वाले ऑप्टिकल इंजीनियर एरिक ट्रेम्बले के अनुसार अभी
यह लेंस थोडा भारी है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वे इसे और हल्का
बना देंगे और फिर यह बाज़ार में आ जाएगा.
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