गुरुवार, 5 जनवरी 2023

ऐतिहासिक_रायपुर

 

रायपुर का नाम सतयुग में कनकपुर, त्रेता में हाटकपुर और द्वापर में कंचनपुर था। इसकी जानकारी नागपुर के भोसले राजा रघुजी तृतीय के शासनकाल के दस्तावेजों से मिलती है।

1. सतयुग में रायपुर का नाम कनकपुर और द्वापर में कंचनपुर था। जनश्रुति के अनुसार यह क्षेत्र बहुत ही समृद्ध था। इसे सोने के समान माना जाता था। भगवान राम इसी क्षेत्र से होकर वनवास गए थे।

2. त्रेतायुग में खारून नदी के किनारे स्थित हटकेश्वर महादेव के नाम पर रायपुर का नामकरण हाटकपुर हुआ था। सन् 1837 में तत्कालीन राजा रघुजी तृतीय भोसले ने रायपुर के नाम को लेकर सर्वे करवाया था। इसमें नामकरण की यह जानकारी सामने आई थी। बूढ़ातालाब के राजघाट में सम्वत् 1458 का शिलालेख मिला था। इसमें राजा ब्रह्मदेव राय व रायपुर के नाम का जिक्र है। इतिहासकार इसे भी नामकरण का आधार मानते हैं।

3. कलचुरी काल की राजधानी रतनपुर को लेकर कहावत प्रचलित है, राय-रतन दूनो भाई। इसके अनुसार रायपुर और रतनपुर दो भाइयों की राजधानी थी। दोनों के पास 18-18 गढ़ (राज्य) थे। रायपुर से पहले खल्लारी में राजमहल था।

4. चौदहवीं शताब्दी में रायपुर राज्य की राजधानी खल्लारी थी। बाद में खारून तट पर रायपुरा और फिर बूढ़ातालाब, महाराजबंद, महामाया मंदिर परिसर के मध्य ब्रह्मपुरी में स्थापित हुई। यहां एक किला था, जिसके पास की खाई आज भी है। यहां अब पानी जमा रहता है। राजा ब्रह्मदेव राय ने शहर विकसित किया था। इस वजह से यह रायपुर के नाम से जाना जाता है। किला सफीलईसी पत्थर से बना था। कुल बड़े-छोटे 16 दरवाजे थे। छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों का राज स्थापित होने के बाद किले के पत्थर का उपयोग कलेक्ट्रेट भवन बनाने में हुआ। शहर में महामाया देवी मंदिर, श्री रामचंद्र स्वामी का मंदिर (दूधाधारी मंदिर), खारून किनारे हटकेश्वर महादेव मंदिर के पास किला बना था।

5. रायपुर का संग्रहालय (अष्टकोणीय भवन) 1875 में बना था। यह मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ का पहला और देश का आठवां सबसे प्राचीन संग्रहालय है। बाद में इस संग्रहालय को महंत घासीदास संग्रहालय में शिफ्ट कर दिया गया। 

128 साल पहले टाउन हॉल बनाने में ऐतिहासिक किले के पत्थरों का उपयोग हुआ है।

रायपुर को विकसित करने वाले राजा ब्रह्मदेव राय के नाम पर नामकरण

युग के साथ बदला नाम

साभार:- डॉ. रमेंद्र नाथ मिश्र, वरिष्ठ इतिहासकार

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