सोमवार, 6 सितंबर 2010

बाल कलाकार से चरित्र अभिनेता तक: ऋषिकपूर


¨हदी सिनेमा जगत में ऋषि कपूर का नाम-एक ऐसे सदाबहार अभिनेता के तौर पर शुमार किया जाता है, जिन्होंने-अपने रूमानी और भावपूर्ण अभिनय से लगभग तीन दशक से दर्शकों के-बीच अपनी खास पहचान बनाई है । चार सितंबर १९५२ को मुंबई में जन्मे ऋषि कपूर को अभिनय की कला-विरासत में मिली१ उनके पिता राज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने-अभिनेता और निर्माता-निर्देशक थे । घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण ऋषि कपूर का रूझान फिल्मों की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने के ख्वाब देखने लगे । ऋषि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत अपने पिता की-निíमत फिल्म मेरा नाम जोकर से की । वर्ष १९७क् में प्रदíशत इस-फिल्म में ऋषि कपूर ने १४ वर्षीय लड़के की भूमिका निभाई जो अपनी-शिक्षिका से प्रेम करने लगता है । अपनी इस भूमिका को ऋषि कपूर ने-इस तरह निभाया कि दर्शक भावविभोर हो गए । फिल्म में अपने दमदार-अभिनय के लिए वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए । वर्ष-१९७३ में अपने पिता राज कपूर के बैनर तले बनी फिल्म बॉबी से बतौर अभिनेता ऋषि कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत की । युवा प्रेम कथा पर बनी इस फिल्म में उनकी नायिका की-भूमिका ¨डपल कपाड़िया ने निभाई । बतौर अभिनेत्नी ¨डपल कपाड़िया की भी यह पहली ही फिल्म थी । बेहतरीन गीत संगीत और-अभिनय से सजी इस फिल्म की जबर्दस्त कामयाबी ने न सिर्फ ¨डपल-कपाड़िया बल्कि ऋषि कपूर को भी शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्नमुग्ध कर-देते हैं। लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत निर्देशन में आंनद बख्शी के गीत- मैं शायर तो नहीं. झूठ बोले कौआ काटे और हम तुम एक कमरे में-बंद हो श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुए जिन्होंने फिल्म को-सुपरहिट बनाने में अहम भूमिका निभाई।

फिल्म बॉबी की सफलता के बाद ऋषि कपूर की जहरीला इंसान, ¨जदादिल और राजा जैसी फिल्में प्रदíशत हुई, लेकिन कमजोर पटकथा-और निर्देशन के कारण ए फिल्में टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई। वर्ष १९७५ में प्रदíशत फिल्म खेल खेल में की कामयाबी के बाद-ऋषि कपूर बतौर अभिनेता अपनी खोई हुई पहचान बनाने में-कामयाब हो गए । कॉलेज की ¨जदगी पर बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर-की नायिका की भूमिका अभिनेत्नी नीतू ¨सह ने निभाई फिल्म खेल खेल में की कामयाबी के बाद ऋषि कपूर और-नीतू ¨सह की जोड़ी दर्शको के बीच काफी मशहूर हो गई । बाद में इस-जोड़ी ने रफूचक्कर, .जहरीला इंसान, ¨जदादिल, कभी-कभी, अमर-अकबर एंथनी, अनजाने, दुनिया मेरी जेब में, झूठा कहीं का. धन दौलत-दूसरा आदमी आदि फिल्मों में युवा प्रेम की भावनाओं को निराले-अंदाज में पेश किया। वर्ष १९७७ में प्रदíशत फिल्म अमर अकबर एंथोनी ऋषि कपूर-के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है । अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना जैसे मँझे हुए कलाकारो की मौजूदगी में भी ऋषि कपूर ने-अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को दीवाना बना दिया। मनमोहन-देसाई के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर अकबर-इलाहाबादी की भूमिका में दिखाई दिए । इस फिल्म में उन पर-फिल्माया यह गीत पर्दा है पर्दा आज भी सर्वŸोष्ठ कव्वाली के तौर-पर शुमार किया जाता है । फिल्म अमर अकबर एंथोनी में यूं तो सभी गाने सुपरहिट हुए, लेकिन यह गीत हमको तुमसे हो गया है प्यार गीत संगीत जगत की-अमूल्य धरोहर के रूप में आज भी याद किया जाता है। इस गीत में पहली बार और अंतिम बार लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, मुकेश और किशोर कुमार जैसे नामचीन पाश्र्वगायकों ने अपनी आवाज दी थी। इन-सबके साथ ही माई नेम इज एंथोनी गोंजालविस के जरिए प्यारे-लाल ने अपने संगीत शिक्षक एंथोनी गोंजालविस को श्रंद्धाजलि दी है।

वर्ष १९७७ में ही ऋषि कपूर के सिने करियर की एक और-सुपरहिट फिल्म हम किसी से कम नही प्रदíशत हुई । नासिर हुसैन-के निर्देशन में बनी इस फिल्म में ऋषि कपूर डांसर ¨सगर की भूमिका-में दिखाई दिए । इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत बचना ए-हसीनों लो मै आ गया आज भी श्रोताओं को झूमने को मजबूर कर देता है । वर्ष १९७९ में के.विश्वनाथ की श्री श्री मुवा की ¨हदी में रिमेक-फिल्म सरगम ऋषि कपूर के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण-फिल्म साबित हुई । फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए अपने-करियर में पहली बार सर्वŸोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से उन्हें नामांकित किया गया। फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका अभिनेत्नी जयाप्रदा ने-निभाई थी, जो उनके सिने करियर की पहली ¨हदी फिल्म थी । फिल्म में-ऋषि कपूर और जया प्रदा की जोड़ी को दर्शकों को जबरदस्त सरहाना-मिली । फिल्म में ऋषि कपूर पर फिल्माया यह गीत डफली वाले-डफली बजा संगीत प्रेमी आज भी नही भूल पाए हैं । वर्ष १९८क् में प्रदíशत फिल्म कर्ज ऋषि कपूर की सुपरहिट फिल्म में शुमार की जाती है । सुभाष घई के निर्देशन में पुनर्जन्म पर-आधारित इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत ओम शांति ओम- दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था । इस गीत से जुड़ा दिलचस्प-तथ्य यह है कि इसे कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र स्टेडियम में-फिल्माया गया था और गाने के दौरान ऋषि कपूर एक झूमते हुए डिस्क-पर नृत्य करते है । वर्ष १९८२ में प्रदíशत फिल्म प्रेम रोग में ऋषि कपूर के-अभिनय के नए रूप देखने को मिले । राजकपूर के निर्देशन में बनी इस-फिल्म में ऋषि कपूर एक ऐसे प्रेमी की भूमिका में दिखाई दिए जो-अपनी प्रेयसी की शादी के बाद भी उससे प्यार करते है । यूं तो यह फिल्म-नारी प्रधान थी, इसके बावजूद उन्होंने अपने भावपूर्ण अभिनय से दर्शको-का दिल जीतकर फिल्म को सुपरहिट बना दिया । फिल्म में अपने दमदार-अभिनय के लिए वह सर्वŸोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के-लिए नामांकित भी किए गए ।

वर्ष १९८५ में प्रदíशत फिल्म तवायफ ऋषि कपूर के करियर-की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है । बी.आर .चोपड़ा के निर्देशन में बनी-इस फिल्म में ऋषि कपूर एक ऐसे युवक की भूमिका में दिखाई दिए जो समाज की परवाह किए बगैर एक तवायफ को अपने घर में शरण-देता है और बाद में उससे शादी करके समाज की सड़ी गली परंपरा को-नकार देता है । फिल्म में जबरदस्त अभिनय के लिए ऋषि कपूर को-सर्वŸोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया । वर्ष १९८९ में प्रदíशत फिल्म चांदनी ऋषि कपूर अभिनीत-महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है । यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी-इस फिल्म में ऋषि कपूर ने फिल्म के शुरुआत में जहां चुलबुला और रूमानी अभिनय किया वहीं फिल्म के मध्यांतर में एक अपाहिज की-भूमिका में संजीदा अभिनय से दर्शको को मंत्नमुग्ध कर दिया । फिल्म में-अपने दमदार अभिनय के लिए वह सवŸोष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर-पुरस्कार से नामांकित भी किए गए। वर्ष १९९६ में ऋषि कपूर ने फिल्म निर्माण के क्षेत्न में भी कदम-रखकर प्रेम ग्रंथ का निर्माण किया । हालाकि यह फिल्म टिकट-खिड़की पर असफल साबित हुई, लेकिन इसमें ऋषि कपूर के अभिनय को जबरदस्त सराहना मिली । वर्ष १९९९ में ऋषि कपूर ने-फिल्म आ अब लौट चलें का निर्माण और निर्देशन किया । दुर्भाग्य-से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई । वर्ष २000 में प्रदíशत फिल्म कारोबार की असफलता के बाद-और अभिनय में एकरूपता से बचने तथा स्वयं को चरित्न अभिनेता के रूप मे भी स्थापित करने के लिए ऋषि कपूर ने स्वयं को विभिन्न-भूमिकाओं में पेश किया। इनमें राजू चाचा, कुछ खट्टी कुछ मीठी, ए है-जलवा, फना, दिल्ली ६ शामिल है । वर्ष २क्क्९ में प्रदíशत फिल्म लव आज कल में अपने दमदार अभिनय के लिए ऋषि कपूर को सर्वŸोष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया । ऋषि कपूर ने अपने चार दशक के लंबे सिने करियर में लगभग १२५-फिल्मों में अभिनय किया । उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में-कुछ है लैला मजनू .दूसरा आदमी .फूल खिले है गुलशन गुलशन, बदलते रिश्ते, पति पत्नी और वो, सरगम, आप के दीवाने, नसीब जमाने को दिखाना है, कुली, दुनिया, सागर, नसीब अपना अपना, नगीना, दोस्ती दुश्मनी, एक चादर मैली सी, प्यार के काबिल, ¨सदूर,.घर-घर की कहानी, विजय, घराना, बड़े घर की बेटी, अजूबा, हिना, दीवाना, बोल राधा बोल, दामिनी, याराना, दरार, फना, नमस्ते लंदन और दिल्ली ६ आदि हैं।




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