आजकल ऐसी खबरें अक्सर पढ़ने को मिलती हैं कि किसी व्यक्ति की अश्लील तस्वीर इंटरनेट पर शाया कर दी गई है। यह उस व्यक्ति के लिए काफी त्रासदायक होता है। आम तौर पर ऐसी तस्वीरें बदले की भावना से शाया की जाती हैं। पीड़ित व्यक्ति इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई में उलझा रहता है। इस तरह की विषयवस्तु से निपटने के प्रयास कई बार हुए हैं। रेडिट और ट्विटर जैसे मंच बदले की भावना से डाली गई सामग्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर चुके हैं और सरकारें भी अपने तर्इं कोशिश करती रहती हैं। दिक्कत यह होती है कि एक साइट को बंद करने पर वही सामग्री किसी दूसरी साइट पर नज़र आने लगती है। मगर पिछले सप्ताह गूगल ने इस सम्बंध में एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। गूगल ने ऐलान किया है कि यदि सम्बंधित व्यक्ति अनुरोध करे तो वह उसकी तस्वीर को अपनी खोज के परिणामों में से हटा देगा। गूगल की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है, “हमारा दर्शन सदा से यह रहा है कि खोज के परिणामों में पूरा वेब प्रतिबिंबित होना
चाहिए। मगर बदले की भावना से प्रस्तुत अश्लील सामग्री निहायत निजी और भावनात्मक रूप से नुकसानदायक होती है। ऐसी सामग्री पीड़ित व्यक्ति - अधिकांशत: महिलाओं - को शर्मसार करती है। लिहाज़ा, हम उन लोगों द्वारा उनकी ऐसी तस्वीरें गूगल खोज प्रिणामों में से हटाने के अनुरोध का सम्मान
करेंगे जिनकी नग्न या यौनिक रूप से प्रेरित तस्वीर उनकी सहमति के बगैर शाया की गई है।”
क्या गूगल का यह कदम कारगर साबित होगा? तथ्य यह है कि वि·ा स्तर पर सामग्री खोज के व्यापार में
गूगल का हिस्सा 70 प्रतिशत है। यदि कोई पृष्ठ गूगल के खोज परिणामों में सामने नहीं आए, तो उसे खोज पाना मुश्किल हो जाता है। लिहाज़ा, गूगल का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है।
इसका एक और भी असर होगा। अन्य खोजी कार्यक्रमों को भी गूगल के साथ कदम मिलाकर चलना होगा,
अन्यथा उन्हें यह बताना होगा कि उन्हें बदले की भावना से शाया इन तस्वीरों को हटाने में क्या आपत्ति है।
गूगल के इस फैसले से यह भी साफ हो जाता है कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार और अपनी निहायत निजी जानकारी को गोपनीय रखने के व्यक्ति के अधिकार के बीच निर्णय करना ज़रूरी है। इस फैसले ने व्यक्ति की अपने निजता को बराबर का महत्व दिया है। वैसे गूगल ने माना है कि उनका यह कदम सीमित रूप से ही प्रभावी होगा। गूगल ऐसी सामग्री को वेब से हटाने की बात नहीं कर रहा है। मगर गूगल का मानना है कि अपने खोज परिणामों में से ऐसी तस्वीरों को हटाकर वे लोगों की निजता के सम्मान में मददगार
साबित होंगे। (रुाोत फीचर्स)
चाहिए। मगर बदले की भावना से प्रस्तुत अश्लील सामग्री निहायत निजी और भावनात्मक रूप से नुकसानदायक होती है। ऐसी सामग्री पीड़ित व्यक्ति - अधिकांशत: महिलाओं - को शर्मसार करती है। लिहाज़ा, हम उन लोगों द्वारा उनकी ऐसी तस्वीरें गूगल खोज प्रिणामों में से हटाने के अनुरोध का सम्मान
करेंगे जिनकी नग्न या यौनिक रूप से प्रेरित तस्वीर उनकी सहमति के बगैर शाया की गई है।”
क्या गूगल का यह कदम कारगर साबित होगा? तथ्य यह है कि वि·ा स्तर पर सामग्री खोज के व्यापार में
गूगल का हिस्सा 70 प्रतिशत है। यदि कोई पृष्ठ गूगल के खोज परिणामों में सामने नहीं आए, तो उसे खोज पाना मुश्किल हो जाता है। लिहाज़ा, गूगल का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है।
इसका एक और भी असर होगा। अन्य खोजी कार्यक्रमों को भी गूगल के साथ कदम मिलाकर चलना होगा,
अन्यथा उन्हें यह बताना होगा कि उन्हें बदले की भावना से शाया इन तस्वीरों को हटाने में क्या आपत्ति है।
गूगल के इस फैसले से यह भी साफ हो जाता है कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार और अपनी निहायत निजी जानकारी को गोपनीय रखने के व्यक्ति के अधिकार के बीच निर्णय करना ज़रूरी है। इस फैसले ने व्यक्ति की अपने निजता को बराबर का महत्व दिया है। वैसे गूगल ने माना है कि उनका यह कदम सीमित रूप से ही प्रभावी होगा। गूगल ऐसी सामग्री को वेब से हटाने की बात नहीं कर रहा है। मगर गूगल का मानना है कि अपने खोज परिणामों में से ऐसी तस्वीरों को हटाकर वे लोगों की निजता के सम्मान में मददगार
साबित होंगे। (रुाोत फीचर्स)
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