आज का सच
सोमवार, 13 जुलाई 2015
शालीन संपादकीय
नईदुनिया में सत्तर के दशक में प्रकाशित एक संपादकीय। एक ऐसे विषय का चुनाव जिस पर लिखने का जोखिम विरले पत्रकार ही उठाएँगे।भाषा और शिल्प का ऐसा कलात्मक नमूना कि अश्लीलता छू भी न सकी। तब इस अखबार में दूसरा अग्रलेख हल्के-फुल्के विषयों पर लिखा जाता था। इसे पत्रकार महेश जोशी ने लिखा था जो इंदौर में रहते हैं। नईदुनिया में उनका साप्ताहिक स्तंभ संस्कृति भी प्रकाशित होता था।
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