मेरे प्रिय पुत्र,
आज सुबह जब पंछियों का मधुर संगीत तुम्हारे कानों में पड़ा, ठंडी हवा के झोकों ने तुम्हारी पलकों को चूमा और सूरज की रेशमी किरणों ने तुम्हारे गालों को थपथपाया तो तुमने नींद से नाता तोड़ते हुए आँखे खोली और सजग होकर पूरी स्फूर्ति के साथ बिस्तर से उठ खड़े हुए। तब मैंने प्यार भरी नजरों से तुम्हें देखा और सोचा कि तुम मुझसे बात करोगे। मेरे बारे में कुछ शब्द ही सही तुम अवश्य अपने होठों पर लाओगे। या तो बीते दिन के लिए मुझे धन्यवाद दोगे या शुरू होने वाले दिन के लिए मुझसे कुछ अवश्य चाहोगे लेकिन तुम चुपचाप अपने कपड़ों का चयन करते हुए दिनचर्या की शुरुआत करने में लगे रहे।
तुम तैयार होने के लिए एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़ते-भागते रहे। मुझे आशा थी कि इस भाग-दौड़ के बाद तुम्हारे पास कुछ तो समय अवश्य बचेगा, जब तुम मुझसे बात करने के लिए रुकोगे, लेकिन तुम अपने काम में ही व्यस्त रहे। इस बीच एक समय ऐसा भी आया, जब तुम्हें थोड़ी देर के लिए फुरसत मिली। तुमने अपने पंद्रह मिनट ऐसे ही गुजार दिए और फिर तुम फोन पर अपने मित्र से बातें करने लग गए और मैं तुम्हारी बात-चीत खत्म होने की प्रतीक्षा में समय गुजारता रहा..
दोपहर के समय मैंने ध्यान दिया कि तुमने भोजन करने से पूर्व चारों तरफ देखा.. तुम्हारे आसपास के लोग प्रार्थना करते हुए मेरे सामने सिर झुकाए हुए थे। तुम्हें शायद मुझसे बात करने में संकोच अनुभव हो रहा था, इसलिए तुमने अपना सिर नहीं झुकाया। हाँ, लोगों के झुके हुए सिर और बुदबुदाते होठों के साथ तुम्हारे चेहरे पर आते-जाते संकोच और पश्चाताप के भावों को देखकर ये विश्वास गहरा हो गया था कि अभी भी बहुत समय है, तुम मुझसे अवश्य बात करोगे।
शाम होते ही तुम घर पहुँचे। कुछ देर बाद ही तुमने अपने आपको मनोरंजन की दुनिया में कैद कर लिया। तुम टीवी और कम्प्यूटर में उलझकर रह गए। मैं बड़े धर्य के साथ तुम्हारी प्रतीक्षा करता रहा.. यहाँ तक कि तुम रात्रि का भोजन भी कर चुके और अपनों को शुभरात्रि कहते हुए बिस्तर पर आ गए। मैंने सोचा.. तुम बहुत थक गए हो शायद सोने से पहले.. लेकिन तुमने बिस्तर पर लेटते ही सुबह नींद से तोड़ा रिश्ता वापस जोड़ लिया। तुम शायद नहीं जानते, तुम्हारे इस व्यवहार से मैं जरा भी दुखी नहीं हुआ क्योंकि तुम्हें नहीं मालूम, तुम सोच भी नहीं सकते मैं उतना धर्यवान हूंँ।
मेरे प्यारे पुत्र, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ.. इसीलिए हर रोज तुम्हारी प्रार्थना और तुम्हारे विचारों की प्रतीक्षा करता हूँ। इस तरह एकतरफा बातचीत करते रहना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन कोई बात नहीं.. जब तक तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं है, मैं यूँ ही तुमसे बात करता रहूँगा। तुम अब सुबह फिर से उठ रहे हो.. मैं फिर से नई सुबह के साथ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा..तुम्हारी प्यार भरी प्रार्थना और बातचीत के लिए.. इस आशा और विश्वास के साथ कि तुम अपना कुछ समय तो मुझे दोगे ही।
तुम्हारे जीवन का हर क्षण अच्छा बीते।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
तुम्हारी एक आवाज की प्रतीक्षा में..
तुम्हारा ईश्वर।
आज सुबह जब पंछियों का मधुर संगीत तुम्हारे कानों में पड़ा, ठंडी हवा के झोकों ने तुम्हारी पलकों को चूमा और सूरज की रेशमी किरणों ने तुम्हारे गालों को थपथपाया तो तुमने नींद से नाता तोड़ते हुए आँखे खोली और सजग होकर पूरी स्फूर्ति के साथ बिस्तर से उठ खड़े हुए। तब मैंने प्यार भरी नजरों से तुम्हें देखा और सोचा कि तुम मुझसे बात करोगे। मेरे बारे में कुछ शब्द ही सही तुम अवश्य अपने होठों पर लाओगे। या तो बीते दिन के लिए मुझे धन्यवाद दोगे या शुरू होने वाले दिन के लिए मुझसे कुछ अवश्य चाहोगे लेकिन तुम चुपचाप अपने कपड़ों का चयन करते हुए दिनचर्या की शुरुआत करने में लगे रहे।
तुम तैयार होने के लिए एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़ते-भागते रहे। मुझे आशा थी कि इस भाग-दौड़ के बाद तुम्हारे पास कुछ तो समय अवश्य बचेगा, जब तुम मुझसे बात करने के लिए रुकोगे, लेकिन तुम अपने काम में ही व्यस्त रहे। इस बीच एक समय ऐसा भी आया, जब तुम्हें थोड़ी देर के लिए फुरसत मिली। तुमने अपने पंद्रह मिनट ऐसे ही गुजार दिए और फिर तुम फोन पर अपने मित्र से बातें करने लग गए और मैं तुम्हारी बात-चीत खत्म होने की प्रतीक्षा में समय गुजारता रहा..
दोपहर के समय मैंने ध्यान दिया कि तुमने भोजन करने से पूर्व चारों तरफ देखा.. तुम्हारे आसपास के लोग प्रार्थना करते हुए मेरे सामने सिर झुकाए हुए थे। तुम्हें शायद मुझसे बात करने में संकोच अनुभव हो रहा था, इसलिए तुमने अपना सिर नहीं झुकाया। हाँ, लोगों के झुके हुए सिर और बुदबुदाते होठों के साथ तुम्हारे चेहरे पर आते-जाते संकोच और पश्चाताप के भावों को देखकर ये विश्वास गहरा हो गया था कि अभी भी बहुत समय है, तुम मुझसे अवश्य बात करोगे।
शाम होते ही तुम घर पहुँचे। कुछ देर बाद ही तुमने अपने आपको मनोरंजन की दुनिया में कैद कर लिया। तुम टीवी और कम्प्यूटर में उलझकर रह गए। मैं बड़े धर्य के साथ तुम्हारी प्रतीक्षा करता रहा.. यहाँ तक कि तुम रात्रि का भोजन भी कर चुके और अपनों को शुभरात्रि कहते हुए बिस्तर पर आ गए। मैंने सोचा.. तुम बहुत थक गए हो शायद सोने से पहले.. लेकिन तुमने बिस्तर पर लेटते ही सुबह नींद से तोड़ा रिश्ता वापस जोड़ लिया। तुम शायद नहीं जानते, तुम्हारे इस व्यवहार से मैं जरा भी दुखी नहीं हुआ क्योंकि तुम्हें नहीं मालूम, तुम सोच भी नहीं सकते मैं उतना धर्यवान हूंँ।
मेरे प्यारे पुत्र, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ.. इसीलिए हर रोज तुम्हारी प्रार्थना और तुम्हारे विचारों की प्रतीक्षा करता हूँ। इस तरह एकतरफा बातचीत करते रहना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन कोई बात नहीं.. जब तक तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं है, मैं यूँ ही तुमसे बात करता रहूँगा। तुम अब सुबह फिर से उठ रहे हो.. मैं फिर से नई सुबह के साथ तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा..तुम्हारी प्यार भरी प्रार्थना और बातचीत के लिए.. इस आशा और विश्वास के साथ कि तुम अपना कुछ समय तो मुझे दोगे ही।
तुम्हारे जीवन का हर क्षण अच्छा बीते।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
तुम्हारी एक आवाज की प्रतीक्षा में..
तुम्हारा ईश्वर।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें