सुनो भाई उधो\]
'मर जा... मर जा..., मत जा... मत जा... प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आजकल हरेक जनसभा में यह जुमला प्राय: उच्चारित करते रहते हैं। यह किसी चन्द्रास्वामी जैसे विख्यात तांत्रिकों, गुरुओं अथवा बाबाओं से हासिल किया गया मंत्र-तंत्र है अथवा जनता को प्र्रभावित करने का कोई कोड वर्ड। इसके उच्चारण मात्र से ही विरोधी दलों के हौसले पस्त हो जाएंगे और जनता की तालियों की गडग़ड़ाहट से सत्तारुढ़ दल की सफलता उसकी झोली में होगी। इसी तरह का प्रयोग कभी अली बाबा चालीस चोर, राजाओं व नवाबों खजानों को लूटने में किया करते थे। बस 'खुल जा सिम-सिम, सिम-सिम, सिम-सिम उच्चारित करते थे। खजाने का दरवाजा खुल जाता था। एटीएम से नोटों की गड्डियां निकालने के लिए भी इसी तरह का ‘कोड वर्ड’ प्रयोग में लाया जाता है। यहाँ पेश है 'मर जा... मर जा..., मत जा... मत जा... नामक छत्तीसगढ़ी आलेख।
हमर देश के परधान मंतरी नरेन्द्र मोदी जिहां जाथे तिहां के आमसभा म जनता मन ला संबोधित करत एक ठन अलकरहा बात कहिथे माधो, मोला अच्छा नइ लगय। दुख लगथे। अतेक बड़े नेता अउ अइसन बात?
फेर का बात होगे उधो, माधो ओला पूछत कहिथे- जब कभू मोर करा तैं आथस तब सादा-सरबदा विचार, भाव अउ हिरदय लेके नइ आवस। उटपुटांग अउ अलकरहा बात ल धर के आथस अउ हर्रस ले पथरा कचारे असन मोर आघू मं पटक देथस। हां, बता का बाते तउन ला?
माधो बताथे- परधान मंतरी हा कहिथे- ये देश के विरोधी दल वाले मन मोला, मोर सरकार के रीति-नीति, कामकाज ल पसंद नइ करयं। मोला सरकार ले बेदखल करे के नाना परकार के षड़यंत्र करथे अउ कहिथे- मोदी मर जा... मर जा... फेर तुंहर मन के आसिरवाद अउ पियार हा मोर ताकत हे अउ एकरे सेती तुमन कहिथौ- मोदी मत जा... मत जा... मत जा... इही बात ल ओहर सभा मंच ले दू-तीन घौं दुहराथे। एला सुन के जनता खुश हो जथे अउ ओकर मन के ताली के गडग़ड़ाहट ले आकास गूंजे ले धर लेथे।
उधो पूछथे- अब तहीं बता माधो, ओला अइसन मर जा... मर जा..., मत जा... मत जा... कहना चाही?
माधो कहिथे- तोला का लगथे?
उधो बताथे- मोदी जरूर कोनो सिद्ध साधु-महात्मा करा ले संजीवनी बूटी कस ये तंत्र मंत्र 'मर जा... मर जा..., मत जा... मत जा... दक्षिणा मं पाय होही। उही ला जनसभा मं पाठ करे बरोबर पढ़थे। मोला तो दाल मं काला लगथे माधो।
उधो के बात ल सुन के माधो हांस परथे तब ओहर कहिथे- ये हांसे के बात नइहे माधो, ये जतका बड़े पद मं रहिथे न तउन मन अइसने सिद्ध जोगी बबा अउ तांत्रिक मन ल पाल के रखथे।
माधो ल बतावत उधो कहिथे हमर देश मं चंद्रास्वामी नांव के बहुत बड़े तांत्रिक होगे हे। पूर्व परधान मंतरी इंदिरा गांधी ल ओहर बड़े-बड़े मंत्र दे रिहिसे। तभे अतेक साल ले ओहर देश मं अकंटक राज करे रिहिसे। मोला तो भुस-भुस जाथे कहूं वइसने कस नरेन्द्र मोदी घला हा तो नइ कोनो तांत्रिक अउ सिद्ध बबा करा ले जादू के तंत्र मंत्र पागे होही?
माधो कहिथे- तैं बइहागे हस, तोर मन के भरम हे। वइसन कुछ नइहे मोदी हा। साफ-सुथरा नेता हे। ओकर सफलता देख के विराधी दल के नेता मन के आंखी फूटत हे।
ओ दिन के बाद उधो लहुट के चल दिस अपन घर। चार-आठ दिन बाद फेर बीरबल कस विनोदी सुभाव के परिचय देवत राज दरबार कोती पहुंचथे।
एक पचरंगा डोले डोल
दुई पंचरंगा डोले डोल
तीन पचरंगा डोले डोल
चार पचरंग डोले डोल।
'ये का पचरंगा डोले डोल, लगा देहत, ये हाथ मं का खंजेरी धरे बजावत किंजरत हस अउ चूंदी कइसे जटर-बटर साधु बैरागी कस बगरा डरे हस। कोनो देखही त पूछही, ये कहां के झुलपाहा आय हे, ये गली ओ खोर भटकत हे।
माधो, उधो ल पूछथे, तब ओहर बताथे, अब तोला का बताओं माधो- अब तोर ओ जमाना नइ रहिगे जब कदम तरी बइठ के बंसरी बजावस तब सब गोप-गुवालिन सब काम-बुता ल छोड़ के तोर करा पहुंच जाय। का जादू मंतर डारे रेहे तोर बंसुरी म, ओ बात आज तक मोर समझ मं नइ परिस?
तब ओला समझ के, जान के का करबे उधो, तैं तो साधु, जोगी, गियानी, तोला जादू-मंतर ले का लेना-देना?
उधो कहिथे- मोला लेड़हार झन माधो, महूं हा कुछु सीखना, जानना अउ समझना चाहत हौं।
ओ चक्कर मं झन पर, ये माया के खेल हे, राजनीति, कूटनीति अउ धरम नीति के बात हे। तैं तो परम गियानी हस, तैं तो ये सबो बात जानत हस, फेर मोर करा पूछे के का जरूरत?
माधो के बात ल सुनके माधो कहिथे- अइसने तो कहि के नारद ल भुलवार दे रेहे, कतेक सुंदर सपना देखे रिहिसे।
अच्छा... अच्छा... अब धीरे-धीरे तोर बात समझ मं आवत हे उधो के तोर मनसा का हे, काबर तैं खंजेरी धर के बजावत अउ गावत ये गली ले ओ गली गिंजरत हस ?
अउ हां... माधो पूछथे- ये 'एक पंचरंगा डोले, डोल, दुई पंचरंगा डोले डोल कोन फिलिम के गाना हे। आजकल तोर छत्तीसगढ़ मं किसम-किसम नांव के फिलिम बनथे कइके सुने हौं। जइसे- जिमी कांदा, शुरू होगे परेम कहानी...
अउ हां... माधो फेर पूछथे- अरे ओ एक झन छत्तीसगढ़ी गायिका हे सीमा कौशिक, ओला तैं जानथस का?
वाह, ओला कइसे नइ जानिहौं, माधो, मोर खियाल से, सलाह हे के राज दरबार के गायिका बनाय मं कोनो हरजा नइहे। ओकर एके गाना अइसे हिट होगे के पूरा छत्तीसगढ़ ल कोन काहय मुंबई के बड़े-बड़े संगीतकार मन ओकर आवाज के दीवाना होगे।
माधो पूछथे- अच्छा तब का सुर सम्राज्ञी लता मंगेश्कर, आशा भोसले, नूरजहां मन ले घला सुंदर आवाज हे?
उधो कहिथे- तैं एक घौं सुनबे न माधो तब बंसुरी ल एक कोती तिरिया देबे। ओकर सुर मं ओं जादू हे के जब ओहर गीत गाये ले धरथे तब शमा ल देख के जइसे परवाना मन झपाय परथे ओकर ऊपर वइसने छत्तीसगड़ के जतेक गीत-संगीत के रसिक परेमी हे तउन मन छपाए परथे।
अतेक जादू हे, ताकत हे। तब वइसने कस तहूं बनिहौं, कहिके सोचत हस का? उधो कहिथे- नहीं माधो, मोर चिंता फिकर दूसर हे।
भला बताबे माधो- का गांव, का शहर, का देश, का राजनीति, कूटनीति, धरम नीति, आरथिक नीति सब जघा जादू मंतर चलत हे।
फोरके बता न साफ-साफ का जादू मंतर चलत हे? माधो के सवाल ल सुनके उधो बताथे- तैं मोर बात लन नइ पतियाबे, फेर बात सोलह आना सही हे। हमर देश के परधान मंतरी ल कोनो सिद्ध महात्मा एक ठन मंत्र देहे अउ केहे के, ए मंत्र ल जनसभा होही तिंहा बोले करबे, पूरा जनता तोर पक्ष मं हो जही। ओ मंत्र का हे उधो , बता तो मोर मन अकुलावत हे ओला जाने बर?
उधो बताथे- 'मर जा... मर जा..., मत जा... मत जा...
माधो खिलखिला के हांस परथे अउ कहिथे- ये कोनो मंत्र हे उधो, मही मिलेंव तोला एक झन मुरख बनाय बर?
ये मंत्र तोला छोटे दीखत हे, फेर हे भारी ताकत हे एमा। जब सभा मं ए मंत्र ल पढ़थे तब ताली के गडग़ड़ाहट अइसे लगथे जैसे आकाश मं बिजली गरजत हे। वइसने कस ताकत मोर एक पचरंगा डोले-डोल कस मंत्र मं हे। अतके बेर सीबीआई अउ इ.डी. के पुलिस गाड़ी आथे तहां ले उधो अउ माधो ओ तिर ले दफा हो जथे।
-परमानंद वर्मा
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