देस अउ परदेस म आज राजा बने खातिर उथल पुथल माते हे |उहिच बात ला सोचत बिचारत खटिया म परे रेहेंव | कतका बेर नींद लगिस ,नइ जानव | फेर ओकर बाद का होथे, सुते - सुते एक ठन अलकरहा सपना देख परथव | सत्ता सुंदरी संग मोर स्वयंबर होगे हे। उडऩ खटोला मं उड़के एक दिन हनीमून मनाय बर मनाली जाथौं। दूनो जोड़ी जांवर हांसत, गोठियावत अउ खिलखिलावत हन। गजब सुग्घर होटल मं ठहरे हन। चारों कोती चकाचक दीखत हे ,अइसे लगत हे जइसे सरग के देवी-देवता हन। उहां देखत हन, एक ले बढ़के एक परी असन सुंदरी मन अपन गोसइया मन के हाथ धरे किंजरत हें, कोनो मेर ओधहा, झिमझाम जघा दीखत हे तेन मेर चुमा-चाटी घला लेवत हें। महूं अपन सुंदरी संग घूमत हौं, छेहल्ला मारत हौं। रात के जब हनीमून के पारी आथे तब गोई हा नहीं... नहीं... कइके जोर से किकियाथे, महूं हा जोर से चिल्ला परथौं। अतके बेर दाई आ जथे, अउ कहिथे- का बर्रावत हस रे गड़ौना। वतका मं नींद खुलगे अउ मोर सपना देखे के मजा चकनाचूर होगे।
चुरमुरावत ले रहिगेंव। राजा बने के सपना टूटगे, सत्ता-सुंदरी हाथ लगे रिहिस कोनो काल के तौंनो हा बिछलगे बाम्बी मछरी कस। दरअसल सत्ता अउ सुंदरी के सपना सब ला होथे। मुंगेरीलाल के सपना असन सब देखथे। आदिकाल ले एकर नांव ले के झगरा लड़ई, छीना-झपटी, मार-काट घला होथे। बहुत छल, प्रपंच, षडयंत्र घला होथे, आजो करत हें। फेर सत्ता अउ सुंदरी उही ला मिलथे जेकर नसीब मं होथे।
आज मोला जोधू-बोधू के ओ बात के सुरता आगे जेन ला कका हर बताइस के कइसे छत्तीसगढ़ मं वइसने कस सपना एक झन नेता देखत हे। फेर ये बीच मं बवंडर माते हे। ये कोनो कोती ले आंधी-तूफान आगे हे अउ अपन संग मं पानी-बादर ला घला धर के आए हे। अइसे काबर करथे, ओकर नीयत मं खोट रहिथे के एमा ककरो भलई होथे, कांही-ककरो समझ मं नइ परय। फेर आ ही जरूर। अरे आतिस, कोनो ओला रोकय, छेंकय नहीं, अक्केला आतिस ना, दुल्हा डउका सही फेर अपन संग मं लेठवा ला धर के काबर आथे ये लेठवा मन हा बदमाश होथे, नीयतखोर होथे। टूरी-टानकी, बहू-बेटी मन ला ताकत झांकत रहिथे।
अड़बड़ बड़बड़ावत हंस मितान का होगे, काकर बात करत हस? कहां के आंधी-तूफान, दुल्हन डउका अउ लेठवा मन के बात करत हस? तोर बात ला सुनके तो मैं अकबकागे हौं, कांही समझ नइ परत हे?
जोधू-बोधू नांव के दू झन मितान तरिया पार मं मुखारी करत अइसने गप-शप मारत रिहिन हे। जोधू के बात ला सुनके बोधू जब पूछिस- काकर बर बिहाव के बात गोठियावत हस मितान, का एसो गांव मं ककरो बिहाव होवइया हे? अच्छा हे, होना चाही, बने बारात जाय ले मिलथे, खाय-पीये अउ नाचे-कूदे बर घला मिलथे।
तोला तो बस खवई-पीयई अउ नचई-कुदई भर चाही, फेर दुलहा ला का चाही, बने सुंदर गुनवती, रूपमति दुल्हन। अभी मउका मिले हे फेर का करबे ओ चिरई हा धरउन नइ देवत हे। पोंदमटकी चिरई असन पाछू कोती पूछी ला उघारथे फेर तोप देथे। जौंन दिन ले अइसन करत ओ चिरई ला देख डरे हे ओहर तब ले न बने ढंग ले सो सकत हे न खा-पी सकत हे।
जोधू के ये बात ला सुनके बोधू के माथा चकरा जथे। का पहेली बुझाथस मितान, बात का हे तेला बने फोर के बता न? तोर उलटा-पुलटा बात ह मोर मगज मं नइ बइठत हे।
नइ बइठय मितान, जब ओ होवइया दुल्हा डउका हर अपन बिहाव के मुद्दा ला नइ सुलझा सकत हे, तब दूसर कोन सुलझा सकही? जोधू के ये बात ला सुनके फेर बोधू कहिथे- दुनिया मं कोन अइसन समस्या हे मितान जेकर समाधान नइ निकलत होही। अडिय़ल घोड़ा असन कहूं ओमन होही तब बात अलग हे।
उहिच करा तो आके गाड़ी अटकते हे, जोधू हा कहिथे।
बोधू कंझावत कहिथे- दुनिया भर के एती-तेती के बात करत हस फेर अभी तक ये बात ला नइ बतावत हस के ओ कोन हे जेकर बिहाव होवइया हे अउ ओ चिरई कोन हे, कहां के हे, तेला तैं जानत हस?
- नइ जानतेंव तब तोर करा अतेक लम्बा-चौड़ा रामायन के कथा ला कइसे बाचतेंव जोधू।
- जब सब कथा ला जानत हस तब संस्कृत के श्लोक बरोबर काबर अन्वय ला बतावत हस मोर ददा, ओकर अरथ ला बता ना। कइसे राम-लछिमन जनकपुरी मं गिस, उहां ले दूनो भाई पुष्प वाटिका घूमे बर निकलिन। उहां जाथे तहां ले खेल हो जथे। अइसने कस तोरो रामकथा होही तौंन ला बने साफ-साफ फोर के एक-एक ठन ला बता। कहां के ओ राजकुमार हे, कहां के राजकुमारी हे, कइसे स्वयंबर होही ते छत्तीसगढिय़ा परम्परा असन बाजा रूंजी धर के बरात जाबो, नाचबो, कूदबो।
जोधू बताथे- तैं काहत हस तौंन बात सब ठीक हे बोधू, फेर ये बिहाव का गुलाझांझरी मं फंसगे हे।
-कइसे गुलाझांझरी मं फंसगे हे का लफड़ा हे, ओ चिरई ककरो संग फंसगे हे, पहिली ले ओकर सटर-पटर चलत हे?
बोधू के बात ला सुन के जोधू खिलखिला के हांस भरथे, अउ कहिथे- तहूं कहां-कहां के अउ अइसन बात सोचत रहिथस?
सोचे ले परथे मितान, आज समे बहुत खराब हे, बेटी-बहू मन के आज कांही ठिकाना नइ हे? दुलहा ओकर घर मं बारात लेके पहुंचे हे। भांवर परे के बेरा पता चलिस ते ओ बेटी हा गांव के कोनो टूरा ला धर के भाग गे। चुरमुरावत ले रहिथे दुलहा, पगरइत अउ बरतिया। यहा हाल हे मितान, आज समे अब्बड़ खराब हे, बहुत फूंक-फूंक के चले ल परथे।
सही काहत हस बोधू तैंहर, इही हाल तो हे ओ बाबू के. बहुत सोचत, गुनत अउ विचारत हे। करौं ते नइ करौं उधेड़बुन मं लगे हे।
तोर असन मितान नइ देखेंव जोधू मैं आज तक। अतेक अकन बात होगे फेर तैं ये नइ बताय के ओ होवइया दुलहा डउका कोन हे ओ पोंदमटकी चिरई कोन हे?
बोधू हा कउवाय असन देखिस तहां ले जोधू कहिथे- अरे ओ छत्तीसगढ़ के राजा साहेब के नांव ला नइ जानत हस का जौंन ओ दिन कहिस - बेटी के बिहाव मं 'टाइम लगथे भई। धीरज धरौं। जोग-लगिन, नेत-घात सबे चलत हे। अभी महाराज मन अगुन-सगुन सब देखत हे, कुंडली ला जांचत-परखत हे। सब ठीक हो जही तहां ले नेवता बांटत मं कतेक दिन लगथे?
वाह मितान, तब हमर राजा साहेब के बिहाव होवइया हे, बाबा साहेब के बिहाव। छत्तीसगढ़ के राजा के बिहाव, तब एमा अतेक देरी करे के बात रिहिसे। बहुत घुमा-फिरा के बात ला बताय मितान, इही ला सीधा-सीधा बता दे रहिते तब का हो जाय रहितिस। जइसे तोर राजा साहेब राजनीतिक, कूटनीतिक हे तइसे ओकर चेला घला तहूं चलता-पुर्जा हस। अइसन मन के खेल घला वइसने टेडग़ा होथे।
बोधी आगू कहिथे- अब मोला ओ चिरई कोन हे, तेला बताय के जरूरत हे, नइहे। मैं जानगेंव ओ सुंदरी ओर चिरई कोन हे- छत्तीसगढ़ के राजकुमारी सत्ता। इंकरे ऊपर तोर राजा साहब के नीयत गड़े हे ना। राजा, महाराजा अउ नवाब मन तो होबे करथे वइसने, एक झन मं ओकर मन नइ अघावय, अउ बने कोनो मेनका, रंभा, मोहनी अउ नीलम ओकर मन के आंखी मं दीखगे तहां ले फेर डोरा डालना शुरू कर देथे। दूनो मितान के गोठबात चलते रिहिस अतके बेर कोन कोती ले कुकुर मन आके झपागे, हांव-हांव करे ले धर लीन। बातचीत के तार इही मेर टूटगे।
बोधू ला कंझाय असन देखिस तहां ले जोधू कहिथे- अरे काला का कहिबे मितान, देखथौं सुनथौं न चारो मुड़ा ला तब अकबकाय असन लागथे जेला देखबे तउने दुलहा डउका बने बर सधाय हे? का छत्तीसगढ़, का महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार अउ झारखंड, सब बरात निकाल के आजथे दोर-दोर ले बरतिया मन ला धर के। ए बरात हाई-फाई होथे मितान, फेर दुलहा डरपोकना होथे, ओ राजकुमारी याने सत्ता सुंदरी पाये खातिर कोनो दूसर देस के राजा मेर जाके शरन मांगथे। ओला डर रहिथे ओकर सत्ता सुंदरी ला कोनो हरन करके झन लेग जाय। बड़े-बड़े डकैत अउ सेना पुलिस ला ओकर पाछू लगा देथे। पहिली के बरात तो घला अइसने होवत रिहिसे।
जोधू, अउ आगू बताथे- रुखमणि हरन के किस्सा तो तैं सुने होबे मितान, जोधू के बात ला सुनके बोधू अकबका जथे, माथा धरके बइठ जथे अउ कहिथे- सोझ-बाय सीधा-सीधा बता ना मितान, काकर बिहाव होवत हे, कहां जाना हे बरात?
तब तैं बरात जाबे ना मितान, तब सुन, पांच सितारा होटल मं तोला ठहरे ले परही, उहां खाना-पीना, नाचना, जुआ-चित्ती अउ का कइथे बार डांस के छोकरी मन संग घला लटर-पटर होय के घला कार्यक्रम रखे गे हे।
तोला सोझ बाय बता ना हे तब बता नइते मैं जाथौं घर। जा तहीं हा ओ दुलहा के बरात अउ मस्तियाबे उहां। बोधू कउआगे राहय।
जोधू बताथे कउआ झन मितान बने काहत हौं, ये जउन बिहाव होथे या फेर होवइया हे तउन अइसन वइसन बिहाव नोहय। इहां सब मेंछा मं ताव देवत दुलहा बने बर एक पांव मं खड़े हे। छत्तीसगढ़ के राजा साहेब गाहे-बगाहे बूढ़तकाल मं घला सत्ता सुंदरी ला देख के ललचा जथे, ओला देख परिस कहूं तहां ले 'आ गले लग जा कइके गाना गाये ले धर लेथे। मध्यप्रदेश के सत्ता सुंदरी ला देखके शिवराज चौहान, कमलनाथ ले झटक लिस। उही सुंदरी हे जेकर संग पन्दरह साल ले गुजारे रिहिसे तभो लो ओकर मन नइ भरे रिहिसे। महाराष्ट्र में अनदेखना मन भाई-भाई मं फूट करा दिन। उद्धव ठाकरे सत्ता सुंदरी संग बने रास-विलास करत रिहिसे। एकनाथ शिंदे ला भड़का दिन अउ उहू बइहा अपन भवजी ऊपर नीयत गड़ा दिस। अब ओ सत्ता सुंदरी शिंदे संग हनीमून मनावत हे। का हरियाणा, का बिहार का झारखंड लेबे। अभी शीबू सोरेन फडफ़ड़ावत हे। कोनो रूपवती सुंदरी ला गोसइन बनाके रखना पाप होगे हे। तभे तो आजकल के बेटी-बहू अउ गोसइन मन ला बुरका पहिले के सलाह ओ समाज के मन देवत रहिथे। कोनो भला नइ काहय, नइ करयं। सब नीयतखोट होगे हे। अपहरन के घटना रोज होवत हे। यहा का हे अपहरन के बाद बलात्कार, फेर हत्या। लगथे मितान अब समाज में रेहे के लइक नइहे।
हां, तब मैं काहत रेहेंव मितान, तैं बिल्कुल तइयार राह। बारात चलना हे ते चलना हे। कार ले के आहौं, चार्टर प्लेन अवइया हे, मोबाइल करिहौं। स्वामी विवेकानंद एरोड्रम मं तोला सब बात ला बताहौं, समझे। जोधू के बात ला सुनके बोधू ओला मने मन गारी देथे- सारे लपरहा, चार्टर प्लेन मं बइठे के सपना देखत हे अउ महूं ला देखावत हे। एकोठन बात एकर पतियाय के लइक नइहे, थूके-थूक मं बरा चुरोय ले बने सीखे हे। भाड़ मं जाय ओ दुलहा, बारात अउ चार्टर प्लेन। बने राहय ददा, हमर घर के बासी अउ पताल के चटनी। अभी अभी खबर मिलिस हे के राजा साहेब के बिहाव "कैंसिल" होगे हे |
परमानन्द वर्मा
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