रविवार, 14 अक्तूबर 2012

बोलती फिल्म के जन्मदाता थे आर्देशिर ईरानी

 चौदह मार्च १९३१ में मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल के बाहर दर्शको की काफी भीड जमा हो गयी थी। टिकट खिडकी पर दर्शक टिकट लेने के लिए मारामारी करने पर आमदा थे। चार आने के टिकट के लिए दर्शक चार से पांच रूपए ब्लैक में देने के लिए तैयार थे। इसी तरह का नजारा लगभग १८ वर्ष पहले दादा साहब फाल्के की फिल्म  राजा हरिशचंद्र  के प्रीमियर के दौरान भी हुआ था। लेकिन आज बात ही कुछ और थी सिने दर्शक पहली बार रूपहले पर्दे पर सिने कलाकारो कोबोलते सुनते देखने वाले थे। सिनेमा हॉल के गेट पर एक शख्स दर्शको का बडे खुशी के साथ स्वागत कर उन्हें अंदर जाकर सिनेमा देखने का निमंत्नण दे रहे थे। वो केवल इस बात के लिए खुश हो रहे थे कि उन्होंने भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा का निर्माण किया है लेकिन तब तक उन्हें भी शायद नहीं पता था कि उन्होंने एक इतिहास रच दिया है और सिने प्रेमी उन्हें हमेशा बोलती फिल्म के जन्मदाता के रूप में याद करेंगे। ५ दिसंबर १८८६ को महाराष्ट्र के पुणे शहर में जन्में आर्देशिर ईरानी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद मुंबई के जे जे आर्ट स्कूल में कला का अध्ययन किया। इसके बाद वह बतौर अध्यापक काम करने लगे बाद में उन्होंने केरोसिन इंस्पैक्टर के रूप में भी कुछ दिनो तक काम किया। कुछ दिनो के बाद उन्होंने केरोसिन इंस्पैक्टर की नौकरी भी छोड दी और पिता के बाध यंत्न और फोनोग्राफ के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे। इस सिलेसिले में उनका संपर्क कई विदेशी कंपनियों से हुआ और जल्द ही वह विदेशी फिल्मों का आयात कर उसे प्रदíशत करने लगे। इसी दौरान उनके काम से खुश होकर अमेरिकी यूनिवर्सल कंपनी ने उन्हें पश्चिम भारत में अपना डिस्ट्रीब्यूटर नियुक्त कर लिया। कुछ समय के बाद ईरानी ने यह महसूस किय कि फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए खुद का स्टूडियों होना चाहिए। वर्ष १९१४ में उन्होंने अब्दुल अली और यूसूफ अली के सहयोग से मैजेस्टिक और अलेक्जेंडर थिएटर खरीदा। वर्ष १९२0 में उन्होंने अपनी पहली मूक फिल्म  नल दमयंती का निर्माण किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात दादा साहब फाल्के की कंपनी  ¨हदुस्तान फिल्म्स  पूर्व प्रबंधक भोगी लाल दवे से हुयी।बाद में उन्होंने साथ मिलकर  स्टार फिल्म्स  की स्थापना की।
 स्टार फिल्म्स के बैनर तले सबसे पहले उन्होंने फिल्म  वीर अभिमन्यु का निर्माण किया। मणिलाल जोशी निर्देशित फिल्म वीर अभिमन्यु में अभिनेत्नी की भूमिका निभायी थी आलम आरा की अभिनेत्नी जुबैदा की बहन सुल्ताना ने जबकि सह अभिनेत्नी की भूमिका के लिए फातमा बेगम का चयन किया गया। फिल्म के निर्माण में लगभग ।क्क्क्क् रूपए खर्च हुए। फिल्म वीर अभिमन्यु की सफलता के बाद स्टार फिल्म्स के बैनर तले १७ फिल्मों का निर्माण करने के बाद आर्देशिर ईरानी  भोगीलाल दवे ने एक साथ काम करना बंद कर दिया। वर्ष १९२४ में आर्देशिर ईरानी ने मैजेस्टिक फिल्म्स की स्थापना की। मैजेस्टिक फिल्म्स के बैनर तले उन्होंने बी पी मिश्रा और नवल गांधी को बतौर निर्देशक काम करने का मौका दिया । स्टार फिल्म्स के रहते हुए जिस तरह उन्होंने मैजेस्टिक फिल्म्स की स्थापना की और दोनो का कार्य विभाजन किया उससे यह स्पष्ट हो गया कि दोनो बैनर का निर्माण उन्होंने अपनी कंपनी की संख्या बढ़ाने के लिए नही किया बल्की किसी खास उदेश्य के तहत किया। स्टार फिल्म्स के बैनर तले जहां उन्होंने पौराणिक और धाíमक फिल्मों का निर्माण किया वही मैजेस्टिक फिल्म्स के बैनर तले उन्होंन हॉलीवुड की शैली में ऐतिहासिक फिल्म का निर्माण किया। ़ मैजेस्टिक फिल्म्स के बैनर तले उन्होने १५ फिल्मों का निर्माण किया लेकिन बाद में कुछ कारणों से उन्होंने यह कंपनी भी बंद करनी पड़ी। वर्ष १९२५ में आर्देशिर ईरानी ने इंपीरियल फिल्म्स की स्थापना की और इसी के बैनर तले उन्होंने पहली बोलती फिल्म  आलम आरा  का निर्माण किया। वर्ष १९३0 में आर्देशिर ईरानी ने यूनिवर्सल फिल्म्स की फिल्म  शो बोट  देखी थी। इस फिल्म में ४0 प्रतिशत संवाद थे जबकि ६0 प्रतिशत फिल्म मूक थी। फिल्म को देखकर आर्देशिर ईरानी ने यह निश्चय किया कि क्यों ने संपूर्ण रूप से बोलती फिल्म का निर्माण किया जाए हालांकि इस तरह के फिल्म का निर्माण कैसे किया जाए वह इसके बारे में नही जानते थे और साउंड र्किा¨डग का भी उन्हों कोई ज्ञान नही था। लेकिन तबतक वह निश्चय कर चुके थे वह बोलती फिल्म बनाएगें अवश्य। आर्देशिर ईरानी का इंपीरियल स्टूडियों रेलवे लाइन के बहुत ही करीब था अत वहां रेलगाडियों के आने जाने के शोर के कारण फिल्मों की शू¨टग करने में काफी दिक्कत हुआ करती थी। इन सबके साथ ही साउंड र्किा¨डग की तकनीक से वह बिल्कुल अंजान थे। सांउडb र्किा¨डग की तकनीक सीखने के लिए वह लंदन गए और वहां १५ दिन रहकर साउंड र्किा¨डग की तकनीक सीखी। फिल्म के निर्माण में लगभग ४क्क्क्क् रूपए खर्च हुए जो उन दिनों काफी बडी रकम समझी जाती थी। फिल्म आलम आरा की कहानी जोसेफ डेविड के एक नाटक के उपर आधारित थी। फिल्म की कहानी कमरपुर के शाहजहां और उनकी दो बेगम नौबहार और दिल बहार के उपर आधारित थी। फिल्म आलम आरा की जबर्दस्त सफलता के बाद इंपीरियल फिल्म्स के बैनर तले कई फिल्मों का निर्माण किया। फिल्म के निर्माण के समय आर्देशिर ईरानी ने फिल्म में मुख्य अभिनेता के लिए महबूब खान का चयन किया था पर बाद में उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। उन्होंने ऐसा महसूस किया कि फिल्म की सफलता के लिए नए कलाकार को मौका देने से अच्छा है किसी प्रख्यात अभिनेता को मुख्य अभिनेता की भूमिका दी जाए। बाद में उन्होंने अभिनेता के रूप में विट्ठल को काम करने को अवसर दिया जबकि सह अभिनेता के रूप में पृथ्वीराज कपूर का चयन किया।
 आर्देशिर ईरानी सदा कुछ नया करने चाहते थे इसी के तहत उन्होंने फिल्म ़  कालिदास  का निर्माण किया। फिल्म में दिलचस्प बात यह थी कि फिल्म के संवाद तमिल भाषा में रखे गए थे जबकि फिल्म के गीत तेलुगू में रखे गए। हालांकि इस बात के लिए उनकी काफी आलोचना हुयी लेकिन आर्देशिर ईरानी का मानना था कि तेलुगू भाषा संस्कृत के काफी नजदीक है और गीतों में यदि तेलुगू का इस्तेमाल किया जाए तो कालिदास के भाव को सही तरीके से अभिव्यक्त किया जा सकता है। बाद में फिल्म के प्र्दशन के बाद उनका यह प्रयोग सफल रहा और फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी। इन सबके साथ ही वर्ष १९३४ में उन्होंने भारत की पहली अंग्रेजीफिल्म  नूरजहां  का निर्माण किया। वर्ष १९३७ एक बार फिर से उनके सिने करियर का अहम वर्ष साबित हुआ जब उन्होंने भारत की पहली रंगीन फिल्म  किसान कन्या  का निर्माण किया। मोती गिडवानी निर्देशिन फिल्म की कहानी लिखी थी एस जियाउद्दीन ने जबकि इसके संवाद और पटकथा लेखक थे उर्दू के प्रसिद्ध कहानीकार सआदत हसन मंटो।
 वर्ष १९३८ में आर्देशिर ईरानी ने इंडियन मोशन फिल्म्स प्रोडयूसर ऐसोसिएशन की स्थापना की और उसके अध्यक्ष बने। इस बीच ब्रिटिश सरकार ने फिल्मों में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उन्हें  खान बहादुर  की पदवी से सम्मानित किया। वर्ष १९४५ में प्रदíशत फिल्म पुजारी ! उनके सिने करियर की अंतिम फिल्म थी। आर्देशिर ईरानी ने अपने तीन दशक से भी ज्यादा लंबे सिने करियर में लगभग २५ फिल्मों का निर्माण किया जिसमें १५ फिल्में मूक थी। हिन्दी फिल्मों के अलावा उन्होंने गुजराती मराठी तमिल  तेलुगू  बर्मी फारसी तथा अंग्रेजी फिल्म का भी निर्माण किया। अपने फिल्म निर्माण और निर्देशन की कला से लगभग तीन दशक तक सिने प्रेमियों का अपना दीवाना बनाए रखने वाले महान फिल्मकार आर्देशिर ईरानी १४ अक्टूबर १९६९ को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
प्रेम कुमार