रविवार, 26 अप्रैल 2015

नेपाल में भूकंप पर मन की आवाज

... और आज हमारी बारी ।
   -डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'  
पहाड़ों से आकर करते; जो हमारी, हर दिन पहरेदारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

घर-बार छोड़कर; मन मसोसकर, आते करके तैयारी,
 कैसे भी हालात; इन्होंने, हिम्मत कभी न हारी।
आपदा झेल रहे हैं, हमको आशा से देख रहे हैं,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

आया भूचाल; हिला नेपाल, ठनका भारत का भाल,
तत्काल प्रधानमंत्री मोदी ने, उनसे पूछा उनका हाल।
बिना जरा भी वक्त गंवाए भेजी, हर मदद सरकारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

सरहद भले अलग है, पर दिल तो अलग नहीं है।
लगता हैं सब अपने जैसा, कुछ भी तो अलग नहीं है।
देश का बच्चा-बच्चा, उनकी समझ रहा लाचारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

भारत में बैठा नेपाली, घर की सोच घबराया है,
न जाने कौन चला गया, कौन-कौन बच पाया है।
अपने घर पर ही टिकी हैं , उसकी नजरें सारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

पर्वत-पुत्रों के इस संकट में, पूरा भारत उनके साथ है,
कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, हमने बढ़ाया मदद का हाथ है ।
हजारों राहतकर्मियों-स्वयंसेवकों का, वहाँ पहुंचना जारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।