शुक्रवार, 22 जनवरी 2021

आखिर क्या होता है क्रिएटिव ब्लॉक

#क्रिएटिव_ब्लॉक :- आत्मविश्वास की कमी, बिना कोशिश किए ही हार मान जाना और जलन की भावना, ईर्ष्या, और खुद को हीन समझना मानसिक रुप से कमजोर व्यक्ति के मुख्य लक्षण होते हैं। ये संकेत बताते हैं कि व्यक्ति मानसिक रुप से कमजोर है। और इसी कमजोरी को हम मनोविज्ञान की भाषा मे क्रिएटिव ब्लॉक कहते है !!

आइए जानते है क्या है ये :-
हर व्यक्ति की मानसिक स्थिति एक जैसी नहीं होती। कुछ लोग मानसिक रुप से कमजोर हो सकते हैं जिससे हम दूसरों से खुद को कमजोर मानते हैं। दिमागी रुप से कमजोर ( ब्लॉक ) होने के कारण आपको अन्य लोगों से अधिक बलिदान और संघर्ष करना पड़ सकता है।
ऐसे में हर रचनात्मक इंसान जीवन में कभी ना कभी क्रिएटिव ब्लॉक से गुजरता है। और फिर उसका कमजोर दिमाग अक्सर बहुत सारी भावनाएं और विचार चलता है जो कि दिमाग को क्रियात्मक सोचने से रोकते हैं। जिससे वो कुछ नया नही कर पाते।
ऐसी कंडीश् में तनाव और नकारात्मकता को दूर करने के लिए लोग रचनात्मक तरीकों का सहारा देते हैं। यह रचनात्मक तरीके पेंटिंग, राइटिंग कुछ भी हो सकता है। मगर कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कुछ रचनात्मक करने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन वैसा हो नहीं पाता है जैसा आप सोचते हैं। यह मानसिक रुप से ब्लॉक होने पर होता है जब आप कुछ रचनात्मक नहीं कर पाते हैं। हर क्रिएटिव इंसान इस समस्या से गुजरता है, इस समस्या को क्रिएटिव ब्लॉक कहते हैं।
👉 लक्षण कुछ इस तरह के होते है इनमे :-
1. कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आते :- अपनी सुविधाओं के दायरे में रहकर हर व्यक्ति काम करना चाहता है। लेकिन जो व्यक्ति क्रिएटिव ब्लॉक से गुजर रहा होता है वह अपने कंफर्ट ज़ोन से कभी भी बाहर आकर काम नहीं करना चाहता है। ऐसे लोग अक्सर कोई भी नई जिम्मेदारी आने से बेहद घबरा जाते हैं।
2. आसानी से हार मान जाते हैं :- परिस्थितियों से हार मानना मानसिक रुप से कमजोर होने की निशानी होती है। जो लोग मानसिक रुप से क्रिएटिव ब्लॉक होते हैं वे जीतने के लिए लड़ नहीं सकते और आसानी से हार मान जाते हैं।
3. दूसरों की सफलता से जलते हैं :- मानसिक रुप से मजबूत लोग दूसरों की सफलता से जलते हैं। लेकिन खुद सफल होने की कोशिश नहीं करते हैं। लगातार दूसरों को सफल और खुद को कम आंकना भी मानसिक रुप से क्रिएटिव ब्लॉक लोगों की निशानी होती है।
4. भरोसे की कमी :- खुद पर भरोसा ना होने के कारण आप आत्म-निर्भर नहीं बन सकते हैं। इससे आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति से अवरोधित हो जाते हैं। क्रिएटिव ब्लॉक में व्यक्ति खुद पर भरोसा नहीं करते और अक्सर हर काम से डरते रहते हैं। खुद पर यह संदेह ही उन्हें असफलता की ओर ले जाता है।
5. प्रतिस्पर्धा से दूर रहना :- जीत-हार जीवन का हिस्सा है। लेकिन अगर आप परीक्षा से ही डर जाएंगें तो सफल होने की कोई गुंजाईश ही नहीं रह जाती है। ऐसे लोग हार जाने के डर से किसी भी प्रतिस्पर्धा में भाग ही नहीं लेते और खुद को आगे बढ़ने का मौका नहीं देते हैं।
👉 करे स्वस्थ मन का निर्माण और मिटाएँ अपना ब्लॉक :-
★ कुछ नया करने की कोशिश करें :- जब आप खुद पर कुछ रचनात्मक करने के लिए दबाव डालते हैं तो आप अपने तनाव को बढ़ा रहे होते हें। इस समस्या को दूर करने के सबसे आसान तरीका कुछ नया करना है। जब आप कुछ नया करने की सोचते हैं तो आपका दिमाग डाइवर्ट हो जाता है जिससे तनाव दूर होता है। एक बार जब तनाव चला जाता है तो आपको कुछ रचनात्मक करने में दिक्कत नहीं होती है।
★ दूसरों के क्रिएटिव वर्जन को फॉलो करें :- आपकी रचनात्मक चीजों को सबको दिखाना जरुरी होता है। कुछ रचनात्मक करने के साथ बाकि लोगों की रचना को देखने के लिए भी समय निकालें। यह आपको प्रेरित करने में मदद करते हैं।
★ परिणाम पर ध्यान ना दें :- बहुत से लोगों के क्रिएटिव ब्लॉक होने के पीछे का कारण किसी भी रचना का परिणाम सोचना होता है। वह रचना करते समय आनंद लेने की बजाय परिणाम के बारे में सोचकर परेशान होते रहते हैं। रचना करना आपको खुशी देता है ना कि तनाव देना इसलिए रचना करने की प्रक्रिया को तनावपूर्ण बनाने की बजाय छोटी-छोटी चीजों का आनंद लें।
★ ट्रेवल करें :- रोज के काम में आप इतने फंसे रहते हैं कि कुछ भी रचनात्मक करने के लिए प्रेरित नहीं हो पाते हैं। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका अपने रोज के रुटीन से बाहर आकर ट्रेवल करें। अगर आप कहीं दूर घूमने नहीं जा सकते हैं तो 1 घंटे घुमना भी काफी होता है।
★ सीमाओं से बाहर आएं :- रचनात्मक होने के लिए अपनी सीमाओं से बाहर जाने में हिचके नहीं। आप जितना नया सोचते हैं वह रचनात्मक काम करने में मदद करते हैं।
सुश्री मोनिका जौहरी (विवेक गुप्ता की वॉल से)

शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

अरे! ऐसा भी होता है


क प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा "LOVE YOU ALL" कहा करतीं थी।
मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही ।
वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको फूटी आँख भी नहीं भाता था। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान । पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता था।
मेडम के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता, मगर उसकी खाली खाली नज़रों से साफ पता लगता रहता कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब हे यानी (प्रेजेंट बाडी-अफसेंट माइड) .धीरे धीरे मेडम को राजू से नफरत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजू मेडम की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजू के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मेडम उसको अपमानित कर के संतोष प्राप्त करतीं।
राजू ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।
मेडम को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर आत्मा नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता। मेडम को अब इससे गंभीर नफरत हो चुकी थी।
पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और प्रोग्रेस रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मेडम ने राजू की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी । प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मास्टर के पास जाया करती थी। उन्होंने जब राजू की प्रोग्रेस रिपोर्ट देखी तो मेडम को बुला लिया। "मेडम प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो राजू की प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजू के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" मेडम ने कहा "मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजू एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ। "मेडम घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ कर चली गई स्कूल की छुट्टी हो गई आज तो ।
अगले दिन हेड मास्टर ने एक विचार किया ओर उन्होंने चपरासी के हाथ मेडम की डेस्क पर राजू की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी । अगले दिन मेडम ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजू की रिपोर्ट हैं। " मेडम ने सोचा कि पिछली कक्षाओं में भी राजू ने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "राजू जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।" "
यह लिखा था
अंतिम सेमेस्टर में भी राजू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। "मेडम ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली।" राजू ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया। .उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। "" राजू की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान रखनेवाला नहीं है.जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है।
" लिखा था
नीचे हेड मास्टर ने लिखा कि राजू की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजू के जीवन की चमक और रौनक भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। " यह पढ़कर मेडम के दिमाग पर भयानक बोझ हावी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । मेडम की आखो से आंसू एक के बाद एक गिरने लगे. मेडम ने साङी से अपने आंसू पोछे
अगले दिन जब मेडम कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया।
मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजू के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से अधिक था ।
पढ़ाई के दौरान उन्होंने रोजाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजू पर दागा और हमेशा की तरह राजू ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मेडम से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर मेडम की ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। राजू तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मेडम ने न सिर्फ खुद खुश होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी बच्चों से भी बजवायी..
फिर तो यह दिनचर्या बन गयी।मेडम हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजू के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना राजू सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मेडम को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करता ।
उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजू ने दूसरा स्थान हासिल कर कक्षा 5 वी पास कर लिया यानी अब दुसरी जगह स्कूल मे दाखिले के लिए तैयार था।
कक्षा 5 वी के विदाई समारोह में सभी बच्चे मेडम के लिए सुंदर उपहार लेकर आए और मेडम की टेबल पर ढेर लग गया। इन खूबसूरती से पैक हुए उपहारो में एक पुराने अखबार में बदतर सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस रहे थे । किसी को जानने में देर न लगी कि यह उपहार राजू लाया होगा। मेडम ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर राजू वाले उपहार को निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं द्वारा इस्तेमाल करने वाली इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा कंगन था जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर सब हैरान रह गए। खुद राजू भी। आखिर राजू से रहा न गया और मिस के पास आकर खड़ा हो गया। ।
कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मेडम को बोला "आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।" इतना सुनकर मेडम के आखो मे आसू आ गये ओर मेडम ने राजू को अपने गले से लगा लिया
राजू अब दूसरी स्कूल मे जाने वाला था
राजू ने दूसरी जगह स्कूल मे दाखिले ले लिया था
समय बीतने लगा।
दिन सप्ताह,
सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है?
मगर हर साल के अंत में मेडम को राजू से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला। मगर आप जैसी मेडम नहीं मिली।"
फिर राजू की पढ़ाई समाप्त हो गई और पत्रों का सिलसिला भी सम्माप्त। कई साल आगे गुज़रे और मेडम रिटायर हो गईं।
एक दिन मेडम के घर अपनी मेल में राजू का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं। आप जैसा कोई नहीं है.........आपका डॉक्टर राजू
पत्र मे साथ ही विमान का आने जाने का टिकट भी लिफाफे में मौजूद था।
मेडम खुद को हरगिज़ न रोक सकी। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह राजू के शहर के लिए रवाना हो गईं। शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं।
उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े-बड़े डॉक्टर, बिजनेसमैन और यहां तक कि वहां पर शादी कराने वाले पंडितजी भी थक गए थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर राजू समारोह में शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। फिर सबने देखा कि जैसे ही एक बुड्ढी औरत ने गेट से प्रवेश किया राजू उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा, जिसमें उन्होंने अब तक वही कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया।
राजू ने माइक हाथ में पकड़ कर कुछ यूं बोला "दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाऊँगा।।।........
ध्यान से देखो यह यह मेरी प्यारी सी माँ दुनिया की सबसे अच्छी है यह मेरी मॉ यह मेरी माँ हैं।

!! प्रिय दोस्तो.... इस सुंदर कहानी को सिर्फ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा । अपने आसपास देखें, राजू जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं, जिन्हें आप का जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है...........👍
बी.एल. मीना मासूम
महेंद्र कुमार वर्मा की पोस्ट से साभार...