फिर इसी रूप में जिंदा होना चाहते हैं देवानंद
ज्वेल थीफ, हम दोनों, हरे राम हरे कृष्णा और सैकड़ों दूसरी फिल्मों के अलग अलग किरदारों में सामने आ चुके देव आनंद खुद को इसी रूप में दोबारा जिंदा करना चाहते हैं। छह दशक लंबे फिल्मी करियर ने भी काम की भूख खत्म नहीं की। बॉलीवुड में देवानंद को सदाबहार यूं ही नहीं कहा जाता। 87 साल की उम्र में भी उनकी ऊर्जा नौजवानों को परेशान करती है। दुनिया को बताने के लिए उनके पास ढेरों किस्से हैं। उ.हें पता है कि बहुत कुछ करना अब शायद मुमकिन न हो पाए इसलिए दोबारा ज.म लेना चाहते हैं देवानंद बन कर ही। एक इंटरव्यू में देव आनंद ने कहा, ‘मैं हमेशा जल्दबाजी में रहता हूं, क्योंकि वक्त बहुत तेजी से फिसलता जा रहा है और मैं उसके पीछे भाग रहा हूं। मेरे पास बताने को बहुत सी कहानियां हैं लेकिन वक्त नहीं। काश मैं एक बार फिर देव आनंद बन कर जन्म लेता और आप लोगों से 25 साल बाद एक युवा अभिनेता के रूप में मिलता।’ अपने खास अंदाज से लोगों के दिलों पर लंबे समय तक राज करने वाले देव 1961 में आई फिल्म ‘हम दोनों’ का रंगीन संस्कर.ा जारी करने जा रहे हैं। 3 दिसंबर को यह फिल्म सिनेमास्कोप के साथ दुनिया भर में रिलीज होगी। इसके तीन हफ्ते बाद देव आनंद की नई फिल्म ‘चार्जशीट’ रिलीज होगी। देव आनंद ने बताया, ‘सिनेमास्कोप, डिजिटल साउंड और रंगीन प्रिंट के साथ यह फिल्म बिल्कुल नए रूप में सामने आएगी। ऐसा नहीं लगेगा कि हम कोई पुरानी फिल्म देख रहे हैं। यह फिल्म मेरे लिए बेहद खास है क्योंकि मेरी जिंदगी का फलसफा साहिर लुधियानवी के रचे गीत, ‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया..’ में ढल गया है।’ नई फिल्म चार्जशीट में देव आनंद ने भी भूमिका निभाई है। फिल्म में उनके अलावा नसीरुद्दीन शाह और जैकी श्रॉफ भी हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह ने भी फिल्म में काम किया है। चार्जशीट एक क्राइम थ्रिलर है। देव आनंद ने बताया, ‘यह एक रहस्यमय ह.या की कहानी है जिसमें पुलिस महकमे में मौजूद भ्रष्टाचार को दिखाया गया है।’ हिंदी सिनेमा को ‘गाइड’ और ‘टैक्सी ड्राइवर’ जैसी बेहतरीन फिल्म देने वाला यह दि.गज फिल्मों की रीमेक बनाने के बारे में नहीं सोचता। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास छह फिल्मों की स्क्रि.ट तैयार है, जब मैं आज भी सोचने के काबिल हूं तो फिर पुरानी चीजों के पीछे क्यों भागूं? मैं अपनी पुरानी कहानियों को दोहराना नहीं चाहता। हां उन फिल्मों के कुछ- कुछ हिस्से मिलाकर एक फिल्म जरूर बनाना चाहता हूं जिसका नाम होगा, ‘द ग्रोथ ऑफ देव आनंद एज एन एक्टर’। देव को भरोसा है कि उनकी दोनों फिल्मों को लोग पसंद करेंगे। उ.होंने कहा, ‘मैं सिर्फ बनाने के लिए फिल्म नहीं बना रहा, मैं उनसे बहुत .यादा जुड़ा हुआ हूं। मैं बूढ़ा हो रहा हूं लेकिन मैं ऐसा नहीं कहता, न ही खुद को बूढ़ा महसूस करता हूं।’ यह पूछने पर कि क्या ऐसा कुछ बच गया है जो वह अब भी करना चाहते हैं, देव आनंद ने कहा, ‘बहुत कुछ। ऐसे अरबों काम हैं जो मैंने नहीं किए और जि.हें मैं करना चाहता हूं। हर लम्हा नया है और आगे बढ़ रहा है। अगर आप भी उसके साथ आगे बढ़ रहे हैं तो आप महान हैं और हां मैं देवानंद हूं।’




रितु ने स्कूल से आकर बस्ते को एक तरफ फेंका और तेजी से अपने बेडरूम में चली गई। उसके चेहरे से गहरी उदासी साफ झलक रही थी। पापा ने कारण पूछा, तो रितु ने कहा-आई एम द लूजर पापा, मैं मैथ में कभी अच्छे अंक नहीं ला सकती। क्यों? पापा ने सवाल किया। ..क्योंकि इस बार भी मेरे गणित में कम नंबर आए, जाहिर है मैं मैथ में हमेशा जीरो रहूंगी। तुम्हें क्या लगता है, रितु को खुद को लूजर कहना चाहिए? अब तनु को ही लो, वह अक्सर इस बात से अपसेट हो जाती है कि उसे उसके दोस्त मोटी कहते हैं। और जानते हो, केवल इस बात से उसने अपनी पूरी लाइफ ही बेकार मान ली। दोस्तो, हर चीज हमारी सोच के मुताबिक नहीं होती। ऐसे में जाहिर है दुख तो होगा ही, लेकिन केवल टेंशन लेने या खुद को कमजोर मान लेने से तो हमारा ही नुकसान होगा। हम ऐसी प्रॉब्लम्स को कैसे मैनेज करें? ऐसा मैनेजमेंट जिसकी बदौलत हमारा आत्मविश्वास बरकरार रहे और हमें इस बात का पक्का भरोसा हो कि किसी भी समस्या के आगे हम घुटने नहीं टेकेंगे। यदि इस बारे में तुम्हारे मन में हैं ढेरों सवाल, तो हाजिर हैं वे खास टिप्स, जिन्हें अमल में लाने पर तुम्हारी टेंशन हो जाएगी छू-मंतर.. 
