शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

मैं दुनिया भूला दूंगा तेरी चाहत में ..


स्टेज से अपने कैरियर की शुरुआत करके शोहरत की बुंलदियों तक पहुंचने वाले वॉलीवुड के प्रसिद्ध पाश्र्वगायक कुमार शानू आज भी अपने कर्णप्रिय गानों से श्रोताओं के दिलों पर राज करते हैं । कुमार शानू मूल नाम  केदारनाथ भटृाचार्य  का जन्म २२ सितंबर १९५७ को कोलकाता में हुआ। उनके पिता पशुपति भटृाचार्य वादक और संगीतकार थे। बचपन से ही कुमार शानू का रूझान संगीत की ओर था और वह पाश्र्वगायक बनने का सपना देखा करते थे। उनके पिता ने संगीत के प्रति बढ़ते रूझान को देखते हुए पुत्न को तबला और गायन सीखने की अनुमति दे दी। कुमार शानू ने अपनी स्नातक की पढ़ाई कोलकाता यूनिवíसटी से पूरी की ।इसके बाद उन्हें कोलकाता के कई कार्यक्रमों में पाश्र्वगायन करने का अवसर मिला। किशोर कुमार से प्रभावित रहने के कारण कुमार शानू उनकी आवाज में ही कार्यक्रमों में गीत गाया करते थे। अस्सी के दशक में बतौर पाश्र्वगायक बनने का सपना लेकर वह मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद कुमार शानू को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आश्वासन तो कई देते लेकिन फिल्म में काम करने का अवसर नही मिल पाता ।इस दौरान उनकी मुलाकात जाने माने गजल गायक और संगीतकार जगजीत ¨सह से हुई जिनकी सिफारिश पर उन्हें फिल्म .आ¨धया .में पाश्र्वगायन करने का अवसर मिला ।
 वर्ष १९८९ में प्रदíशत फिल्म .आंधिया .की असफलता से कुमार शानू को गहरा सदमा पहुंचा । इस बीच उनकी मुलाकात संगीतकार कल्याणजी आनंद जी से हुई । कल्याण जी.आनंद जी ने उनका नाम केदारनाथ भटृाचार्य से बदलकर कुमार शानू दिया और उन्हें अमिताभ बच्चन की फिल्म जादूगर में पार्श्‍वगायन करने का अवसर दिया । हालांकि दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर असफल साबित कुमार शानू की किस्मत का सितारा वर्ष 1991 में प्रदíशत फिल्म .आशिकी .से चमका। बेहतरीन गीत.संगीत से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ अभिनेता राहुल राय .गीतकार समीर और संगीतकार नदीम.श्रवण को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया बल्कि पाश्र्वगायक कुमार शानू को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया । फिल्म के सदाबहार गीत आज भी दर्शकों और श्रोताओं को मंत्नमुग्ध कर देते हैं । नदीम श्रवण के संगीत निर्देशन में कुमार शानू की आवाज में रचा बसा सांसो की जरूरत हो जैसे .नजर के सामने जिगर के पार .अब तेरे बिन जी लेंगे हम .धीरे धीरे से मेरी ¨जदगी में आना .मैं दुनिया भूला दूंगा तेरी चाहत में .श्रोताओ के बीच काफी लोकप्रिय हुए जिन्होंने फिल्म को सुपरहिट बनाने में अहम भूमिका निभाई ।
 फिल्म आशिकी की सफलता के बाद कुमार शानू को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए .सड़क .साजन .दीवाना .बाजीगर .जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद कुमार शानू ने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ और एक से बढक़र एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्नमुंग्ध कर दिया । फिल्म .आशिकी .की सफलता के बाद संगीतकार नदीम.श्रवण कुमार शानू के प्रिय संगीतकार बन गए। इसके बाद कई फिल्मों में उनकी जोड़ी ने अपने गीत संगीत के जरिए श्रोताओं को मंत्नमुग्ध किया । उनकी जोड़ी वाली गीतों की लंबी फेहरिस्त में कुछ है .मेरा दिल भी कितना पागल है .जीये तो जीये कैसे .साजन .जीता था जिसके लिए .दिलवाले .दिल नजर जिगर क्या है .दिल का क्या कसूर .घँूघट की आड़ में दिलबर का दीदार अधूरा रहता है .हम है राही प्यार के .दो दिल मिल रहे है .परदेस .जबसे तुमको देखा है सनम .दामिनी.सोचेगे तुम्हे %यार करे कि नही .दीवाना .परदेसी परदेसी जाना नही .राजा ¨हदुस्तानी .दिल है कि मानता नही .दिल है कि मानता नही .जब जब %यार पे पहरा हुआ है .सड़क .जीता था जिसके लिए .दिलवाले .चेहरा क्या देखते हो दिल में उतरकर देखो ना .सलामी .जैसे कई सुपरहिट गीत शामिल ¨हदी फिल्म इंडस्ट्री में लगातार पांच बार सर्वŸोष्ठ पाश्र्वगायक के तौर पर फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त करने का कीíतमान कुमार शानू के नाम दर्ज है । उन्हें सबसे पहले वर्ष १९९क् में प्रदíशत फिल्म.आशिकी., के गीत .अब तेरे बिन जी लेगें हम .के लिए यह अवार्ड दिया गया था। इसके बाद वर्ष १९९१ .साजन .मेरा दिल भी कितना पागल है .वर्ष १९९२ .दीवाना .सोचेगे तुम्हे %यार करे कि नही .वर्ष १९९३ .बाजीगर .ये काली काली आंखे .वर्ष १९९४ .१९४२ ए लव स्टोरी .एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा .के लिए भी कुमार शानू सर्वŸोष्ठ पाश्र्वगायक के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए । वर्ष १९९३ में एक दिन मे २८ गाने रिकार्ड करने का कीíतमान भी कुमार शानू बना चुके है। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज किया गया ।भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए २क्क्९ में उन्हें देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पदमश्री से अलंकृत किया गया। आमिर खान .शाहरूख खान जैसे नामचीन नायकों की आवाज कहे जाने वाले कुमार शानू ने तीन दशक से भी ज्यादा लंबे कैरियर में लगभग ८क्क्क् फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाये हैं। उन्होंनें हिन्दी के अलावा बंगला फिल्मों के गीतों को भी अपना स्वर दिया है । कुमार शानू ने अपने करियर में लगभग ४क्क् फिल्मों में पाश्र्वगायन किया है । उनके करियर की उल्लेखनीय फिल्मों में .बहार आने तक .साथी .फूल और कांटे .खिलाड़ी .बोल राधा बोल.सर .दलाल .ये दिल्लगी , मोहरा.बरसात.अग्निसाक्षी.जीत.विरासत.जुड़वा.गुप्त, इश्क .गुलाम .सोल्जर .दिलवाले दुल्हिनियां ले जाएगे .कुछ कुछ होता है .आ अब लौट चले .सरफरोश .बीवी नंबर वन .हम दिल दे चुके सनम .हसीना मान जाएगी .वास्तव .हम साथ साथ है .कहो ना %यार है .दुल्हन हम ले जाएगे .धड़कन .कुरूक्षेत्न .कसूर .अजनबी .देवदास .अंदाज .फिदा और .वेवफा .आदि शामिल है।