गुरुवार, 17 मई 2012

अनोखे अंदाज में मनाया माधुरी का जन्मदिन

अपनी मनमोहक मुस्कान और दिलकश अदाओं से विश्व प्रसिद्ध चित्नकार स्वर्गीय मकबूल फिदा हुसैन समेत लाखों लोगों को घायल कर चुकी दिग्गज फिल्म अभिनेत्नी माधुरी दीक्षित की ‘अनोखी भक्ति’ के कारण दुनिया भर में चíचत तथा अमेरिका में शोध का विषय तक बन चुके युवा सिख व्यवसायी पप्पू सरदार ने आज जमशेदपुर में एक बार फिर भव्य और अनूठे अंदाज में गुजरे जमाने की इस ‘धकधक गर्ल’ का ४५ वां जन्मदिन मनाया वर्ष १९९६ से ही हर वर्ष हजारों रूपए खर्च कर धूमधाम से माधुरी दीक्षित का जन्मदिन मनाते आ रहे पप्पू ने अपने घर को भी माधुरी के मंदिर में तब्दील कर रखा है1 माधुरी के प्रति उनके इस अनोखे दीवानेपन के कारण ही अमेरिका की एक प्रवासी भारतीय छात्ना ने उन पर शोध प्रबंध भी लिखा है। मात्न चौथी कक्षा तक पढ़े ४८ साल के पप्पू को देश के इस प्रमुख औद्योगिक नगर में हर कोई माधुरी के दीवाने के रूप में पहचानता है। वह हर साल माधुरी के ‘जन्मोत्सव‘ को यहां साकची स्थित अपनी चाट की दुकान पर १४ मई की रात से ही मनाना शुरू कर देते हैं। इस अवसर पर सैकड़ो लोगों का हुजूम उमड़ जाता है। वह केक काटने के अलावा माधुरी की पूजा भी करते हैं । गरीब और अपाहिज बच्चों तथा बेसहारा लोगो को भोजन भी कराते हैं। उनके कार्यक्रम की लोकप्रियता के कारण कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी इसमें उनका साथ देती रही हैं। पप्पू ने इस बार १५ मई से शुरू होने वाले एक अनूठे कैलेंडर की करीब दस हजार प्रतियां वितरित की जिन पर माधुरी तथा लंदन के मैडम तुसाद गैलरी में बनी उनकी मोम की प्रतिमा का चित्न है। पप्पू ने माधुरी के जन्मदिन का केक एक घोड़ागाड़ी पर काटा और उनके द्वारा प्रचारित एक खास ब्रांड के चावल और चॉकलेट का वितरण भी किया। कल उन्होंने अपंग बच्चों और बेसहारा बुजुर्गो के बीच चेशायर होम में किन्नरों से भी एक केक कटवाया था। माधुरी के इस दीवाने ने अपना एक अनूठा बीमा भी करा रखा है जिसके अनुसार उसकी मौत होने पर बीमे की राशि यहां अपाहिज और मंद बुद्धि बच्चों के लिए बने चेशायर होम को दी जाएगी। मजेदार बात यह है कि उसने बीमा कंपनी को लिखित तौर पर कह रखा है कि उसकी मौत चाहे जब भी हो ् बीमा की राशि माधुरी के जन्मदिन १५ मई को ही बच्चों को दी जाए। उसने इन बच्चों के लिए माधुरी दीक्षित के नाम से एक पार्क भी बनवा रखा है।
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कान्स समारोह में चार फिल्मों के
 साथ भारत की सशक्त उपस्थिति
‘ प्रेम कांत सिंह
 अपनी रचनात्मक ऊर्जा और नजरिए के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित कान्स फिल्म समारोह में भारत इस बार कुल चार फिल्मों के साथ मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है। यह पहला मौका है जब भारत की तरफ से एक साथ चार फिल्में कान्स समारोह में फिल्म समीक्षकों के पैमाने पर कसी जाएंगी। इनमें से तीन फिल्में तो पुरस्कार की होड में शामिल होंगी जबकि महान नृत्य निर्देशक उदय शंकर की फिल्म. कल्पना. को .क्लासिक. वर्ग में प्रदíशत किया जाएगा। बुधवार से शुरु  हुए  ६५ वें कान्स समारोह में समीक्षकों को भारतीय सिनेमा के एक नए रूप को देखने का मौका मिलेगा। अब तक गाहे‘बगाहे ही भारतीय फिल्में इस प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही हैं लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुयी है। कान्स में स्क्रीन होने वाली फिल्मों में गैंग्स आफ वासीपुर. पेडलर्स और मिस लवली शामिल हैं। यह एक दिलचस्प संयोग है कि इनमें से दो फिल्में नवोदित निर्देशकों की हैं। ¨हदी फिल्मों की नयी परिभाषा गढने की कोशिश में जुटा युवा फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप की एक साथ दो फिल्में इस होड में शामिल हो रही हैं। इनमें से एक फिल्म .गैंग्स आफ वासीपुर. का निर्देशन तो अनुराग ने खुद किया है जबकि युवा निर्देशक वासन बाउला की फिल्म .पेडलर्स. का निर्माण अनुराग के प्रोडक्शन हाउस ने किया है।
 अनुराग कान्स समारोह में अपनी दो फिल्मों को प्रविष्टि मिलने को अपने लिए एक बडा सम्मान बता रहे हैं। मसाला फिल्मों से इतर वास्तविकता का पुट लिए हुए सिनेमा में आस्था रखने वाले अनुराग ने कुछ समय पहले ही पांच घंटों से अधिक लंबी फिल्म .गैंग्स आफ वासीपुर. को पूरा किया है। इस फिल्म का कथानक भी बालीवुड फिल्मों के आम लोगों पर पडने वाले प्रभाव को रेखांकित करने वाला है। फिल्म की लंबाई को देखते हुए इसकी दो हिस्सों में स्क्री¨नग की जाएगी। इसे .डाइरेक्टर्स फोर्टनाइट. वर्ग में प्रदíशत किया जाना है
जिसमें बेहद प्रतिष्ठित .पाम डि ओर. पुरस्कार प्रदान किया जाता है। पेडलर्स और मिस लवली को .कैमरा डि ओर. पुरस्कार दिए जाने वाले अनसर्टेन रिगार्ड वर्ग में प्रदíशत किया जाएगा। पेडलर्स का निर्माण अनुराग की ही फिल्म निर्माण कंपनी ने किया है और इसका निर्देशन नवोदित वासन बाला ने किया है। शहर की अंधेरी गलियों की ¨जदगी के विधि आयामों को उद्घाटित करती यह फिल्म अपने स्याह सच से लोगों को चौंकाने की क्षमता रखती है। भारत की तीसरी प्रविष्टि .मिस लवली. भी परंपरागत भारतीय सिनेमा की छवि को तोडने की कोशिश करती है। इस फिल्म के नवोदित निर्देशक असीम अहलूवालिया भी ¨हदी फिल्म जगत पर सितारों के प्रभुत्व को नकारते हैं और जल्द ही नए तरह के सिनेमा के उदय की उम्मीद जगाते हैं जहां पर विषयवस्तु का ही वर्चस्व होगा।  इन फिल्मों के अलावा वर्ष १९४८ में बनी भारतीय फिल्म .कल्पना. को भी क्लासिक वर्ग में प्रदíशत किया जाएगा। मशहूर नर्तक उदय शंकर ने यह प्रयोगधर्मी फिल्म बनायी थी जिसमें उनके अलावा उनकी पत्नी अमला ने भी काम किया था। लेकिन समुचित संरक्षण के अभाव में इसका ¨पट्र खराब हो गया था और बडी जद्दोजहद के बाद इसे प्रदर्शन के लायक बनाया जा सका है। अब ९४ साल की हो चुकीं अमला को .कल्पना. के प्रदर्शन के मौके पर कान्स समारोह में खास तौर पर आमंत्नित किया गया है।

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