मंगलवार, 5 जुलाई 2016

ये हैं मेरी मां......

मिस आयशा एक छोटे से शहर के  प्राथमिक स्कूल में  कक्षा 5 की  शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह कक्षा शुरू करने से पहले हमेशा "आई लव यू ऑल" बोला करतीं। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं कहती । वह कक्षा के सभी बच्चों से उतना प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो मिस आयशा को फूटी आँख  नहीं भाता। उसका नाम तारिक था। तारिक मैली कुचैली स्थिति में  स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मैल के निशान। । । व्याख्यान के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता।

मिस आयशा के डाँटने पर वह चौंककर उन्हें देखता,  तो लग जाता..मगर उसकी खाली-खाली नज़रों से उन्हें साफ पता लगता रहता.कि तारिक शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब है।.धीरे  धीरे मिस आयशा को तारिक़ से नफरत-सी होने लगी। क्लास में घुसते ही तारिक मिस आयशा की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण तारिक के नाम पर किये जाते. बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते.और मिस आयशा उसे  अपमानित  कर के  संतोष प्राप्त करतीं। तारिक ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।

मिस आयशा को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता,  जिसके अंदर भावना नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी  खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता । मिस आयशा को अब उससे  चिढ़ हो चुकी थी। पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मिस आयशा ने तारिक की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी । प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मिस टरेस के पास जाया करती थी। उन्होंने जब तारिक की रिपोर्ट देखी तो मिस आयशा को बुला लिया। "मिस आयशा प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो प्रगति भी लिखनी  चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे तारिक के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।" "मैं माफी माँगती  हूँ, लेकिन तारिक एक बिल्कुल ही अशिष्ट और निकम्मा बच्चा है । मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ। "मिस आयशा घृणित लहजे में बोलकर वहां से उठ आईं।
हेड मिसटरेस ने एक अजीब हरकत की। उन्होंने चपरासी के  हाथ मिस आयशा की डेस्क पर तारिक की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी । अगले दिन मिस आयशा ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नजर पड़ी। पलटकर देखा तो पता लगा कि यह तारिक की रिपोर्ट हैं। "पिछली कक्षाओं में भी उसने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे।" उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। "तारिक जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा।" "बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।" "
अंतिम सेमेस्टर में भी तारिक ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया  है। "मिस आयशा ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली।" तारिक़ ने अपनी मां की बीमारी का बेहद प्रभाव पड़ा। .उसका  ध्यान पढ़ाई से हट रहा  है। "" तारिक की माँ को अंतिम चरण का  कैंसर हुआ है। । घर पर उसका और कोई ध्यान  रखने वाला नहीं है.जिसकी वहज से उसकी पढ़ाई पर पड़ा है। ""
तारिक की  माँ मर चुकी है और इसके साथ ही तारिक के जीवन की  रौनक  भी। । उसे बचाना होगा...इससे पहले कि  बहुत देर हो जाए। "मिस आयशा के दिमाग पर भयानक बोझ तारी हो गया। कांपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । आंसू उनकी आँखों से एक के बाद एक गिरने लगे.अगले दिन जब मिस आयशा कक्षा  में दाख़िल हुईं तो उसने अपनी आदत  के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश "आई लव यू ऑल" दोहराया। मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे  बालों वाले बच्चे तारिक़ के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं..वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से हो ही नहीं सकता  था । पढ़ाई के दौरान उन्होंने रोजाना  दिनचर्या की तरह एक सवाल तारिक पर दागा और हमेशा की तरह तारिक ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मिस आयशा से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हँसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी, तो उसने अचंभे में सिर उठाकर उनकी ओर देखा। अप्रत्याशित रूप से उनके माथे पर आज बल न थे, वह मुस्करा रही थीं। उन्होंने तारिक को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा।
तारिक तीन चार बार के आग्रह के बाद अंतत:बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मिस आयशा ने न सिर्फ खुद खुश  होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी से भी बजवायी.. फिर तो यह दिनचर्या बन गयी। मिस आयशा हर सवाल का जवाब  अपने आप बताती और फिर उसकी खूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण तारिक के कारण दिया जाने लगा । धीरे-धीरे पुराना  तारिक सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मिस आयशा को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिला त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नए- नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी। उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे  हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ होते, जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और तारिक ने दूसरा स्थान हासिल कर लिया यानी दूसरी क्लास । विदाई समारोह में सभी बच्चे मिस आयशा के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मिस आयशा की  टेबल पर ढेर  लग गए । इन खूबसूरती से पैक हुए उपहार में एक पुराने अखबार में बद सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हँस पड़े। किसी को जानने में देर न लगी कि उपहार के नाम पर ये तारिक लाया होगा। मिस आयशा ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर  महिलाओं की इत्र की एक आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा-सा कड़ा था,  जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस आयशा ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद तारिक भी। आखिर तारिक से रहा न गया और मिस आयशा के पास आकर खड़ा हो गया। । कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मिस आयशा को बताया कि "आज आप में से  मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।"
समय पंख लगाकर उड़ने लगा। दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है? मगर हर साल के अंत में मिस आयशा को तारिक़ से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता, जिसमें लिखा होता कि "इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।" फिर तारिक का  स्कूल समाप्त हो गया और पत्रों  का सिलसिला भी। कई साल आगे गुज़रे और मिस आयशा रिटायर हो गईं। एक दिन उन्हें अपनी मेल में तारिक का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
"इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपकी अलावा शादी की बात मैं  नहीं सोच सकता। एक और बात .. मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं।। आप जैसा कोई नहीं है.........डॉक्टर तारिक

 साथ ही विमान का आने जाने का  टिकट भी लिफाफे में मौजूद था। मिस आयशा खुद को हरगिज़ न रोक सकती थीं। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह दूसरे शहर के लिए रवाना हो गईं। ऐन शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं। उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका  होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा  न रही कि शहर के बड़े डॉ, बिजनेसमैन और यहाँ तक ​​कि वहां मौजूद निकाह पढाने वाले भी थक गये थे. कि आखिर कौन आना बाकी है...मगर तारिक समारोह में निकाह के  बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने  का इंतजार कर  था। फिर सबने देखा कि जैसे ही यह  शिक्षिका आयशा ने गेट से प्रवेश किया तारिक उनकी ओर लपका और उनका हाथ पकड़ा, जिसमें उन्होंने अब तक वह सड़ा हुआ सा कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया। माइक हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं बोला  "दोस्तो आप सभी हमेशा मुझसे  मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाऊँगा।।।........ये हैं मेरी माँ - ------------------------- "

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