गुरुवार, 5 जुलाई 2018

हम ही पाल रहे हैं समाज की विसंगतियों को

इन दिनों पूरे देश में मासूम दरिंदगी की शिकार हो रही हैं। लोग बलात्कारियों के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। वे इसे देश की बहुत बड़ी समस्या मानते हुए इसके खिलाफ अभियान ही चला रहे हैं। पर यह समस्या आई कहाँ से, इसे जानने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। आओ, देखेें, समस्या आखिर कहाँ है? कुछ समझने की कोशिश करें कि आखिर देश में बलात्कार की घटनाओं में अचानक वृद्धि कैसे हो गई। कुछ उदाहरणों से समझने की कोशिश करते हैं। लोग कहते हैं कि रेप क्यों होता है ? आओ, यह जानने की कोशिश करते हैं।

(1) 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया। परन्तु आज 8 साल का लडका टीवी पर क्या देखता है ? सिर्फ नंगापन और अश्लील वीडियो और फोटो, मैग्जीन में अर्धनग्न फोटो,  पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे !!
लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की मानसिकता है। पर वो मानसिकता आई कहाँ से ? उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद हैं।  क्योंकि हम joint family में नहीं रहते। हम अकेले रहना पसंद करते हैं। और अपना परिवार चलाने के लिए माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये टीवी और इन्टरनेट का सहारा लेते हैं। और उनको देखने के लिए क्या मिलता है, सिर्फ वही अश्लील वीडियो और फोटो। तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ? अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा।
कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है।
(2) पूरा देश रेप पर उबल रहा है, छोटी छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही है, उस पर सबके मन मे गुस्सा है। कोई सरकार को कोस रहा,  कोई समाज को तो कई feminist सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है ! लेकिन आप सुबह से रात तक कई बार sunny leon के कंडोम के add देखते है ..!! फिर दूसरे add में  रणवीर सिंह शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है...!! ऐसे ही Close up, लिम्का, Thumsup भी दिखाता है। लेकिन तब आपको गुस्सा नही आता है ना ??? आप अपने छोटे बच्चों के साथ music चैनल पर सुनते ही हैं  दारू बदनाम कर दी, कुंडी मत खड़काओ राजा, मुन्नी बदनाम, चिकनी चमेली, झण्डू बाम, तेरे साथ करूँगा गन्दी बात, और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते है। तब आपको गुस्सा नही आता ??
मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है, जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहागरात मनाते है।  किस करते है। आँखो में आँखे डालते हैं। और तो और भाभीजी घर पर हैं, जीजाजी छत पर हैं, टप्पू के पापा और बबीता जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा,  पूरे परिवार के साथ देखते हैं। इन सब serial को देखकर आपको गुस्सा नहीं आता ?? फिल्मों मे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है। पर आप बड़े मजे लेकर देखते हैं, इन सब को देखकर आपको गुस्सा नहीं आता ?? खुलेआम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते हैं।  उनके मन में जहर घोलते है। तब आपको गुस्सा नहीं आता ? क्योंकि आपको लगता है कि रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है । पुलिस, प्रशासन, न्याय व्यवस्था की जिम्मेदारी है.. लेकिन क्या समाज और मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?
आप तो अखबार पढ़कर, News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे। कोसेंगे सिस्टम को,  सरकार को, पुलिस को, प्रशासन को, DP बदल लेंगे, सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे,  बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे। लेकिन.... TV चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नहीं कहेंगे। क्योंकि वो आपके मनोरंजन के लिए हैं।  सच पुछिऐ तो TV Channels अश्लीलता परोस रहे हैं … पाखंड परोस रहे हैं, झूंठे विज्ञापन परोस रहे है , झूंठे और सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहे हैं। गलतीउनकी भी नहीं है। क्योंकि आप खरीददार हो .....?? बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।
(3) अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है।  जैसे ही ब्रेक आएगा:- पहला विज्ञापन बॉडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है, दूसरा कंडोम का,  तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला, और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का...... जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है। क्योंकि "हादसा एक दम नहीं होता, वक़्त करता है परवरिश बरसों....!" ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है ..
(4) आज सोशल मीडिया, इंटरनेट और फिल्मों में पोर्न परोसा जा रहा है। तो बच्चे तो बलात्कारी ही बनेंगे ना। ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए, ये घटनाएं नहाँ रुकने वाली है। इंतज़ार करें, बहुत जल्द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर हमारा स्वच्छंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा सोशल मीडिया देने वाला है । अगर अब भी आप बदलने की शुरुआत नही करते हैं ,तो समझिए कि ......फिर कोई भारत की बेटी निर्भया एवम् अन्य बेटियों की तरह बर्बाद होने वाली है। आपको आपकी बेटियां बचाना है, तो सरकार कानून पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने में अपनी अहम भूमिका निभाएं। तभी कुछ हो पाएगा, अन्यथा कुछ न करने पर कुछ बहुत बड़ा ऐसा हो जाएगा, जिससे आप आंदोलित हो जाएंगे, पर कर कुछ भी नहीं पाएँगे।

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