शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

मोबाइल पर प्रेरक कथा

मैं बिस्तर में से उठा...
अचानक छाती में दर्द होने लगा...
मुझे... हार्ट की तकलीफ तो नहीं है. ..? ऐसे विचारों के साथ. ..मैं आगे वाले बैठक के कमरे में गया. ..मैंने नज़र की... कि मेरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था...

मैने... पत्नी को देखकर कहा...
काव्या थोडा छाती में रोज से आज ज़्यादा दर्द है...
डोक्टर को बताकर आता हूं. ..
हा, मगर संभलकर जाना... काम हो तो फोन करना  (मोबाइल में मुंह रखकर काव्या बोली...

मैं...एक्टिवा  की चाबी लेकर पार्किंग में पंहुचा...
पसीना,  मुझे बहुत होता था...
एक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी...
ऐसे वक्त्त... हमारे घर का काम करने वाला ध्रुवजी (रामो) सायकल लेकर आया... सायकल को ताला मारते मेरे सामने देखा...

क्यों साब. ..एक्टिवा चालू नहीं हो रहा है...मैंने कहा नहीं...

आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती साब... इतना पसीना क्यों दिखता है ?

साब... स्कूटर को किक इस हालत में नहीं मारते....
मैं किक मारके चालू कर देता हूं...
ध्रुवजी ने एक ही किक मारकर एक्टिवा चालू कर दी, साथ ही पूछा..साब अकेले जा रहे हो ?
मैंने कहा... हां
ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते...
चलिए मेरे पीछे बैठ जाओ...
मैंने कहा तुम्हे एक्टिवा चलाना  आता है  ?
साब... गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता छोड़कर बैठ जाओ...

पास ही एक अस्पताल में हम पंहुचे, ध्रुवजी  दौड़कर अंदर गया, और व्हील चेयर लेकर बाहर आया...
साब... अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ..

ध्रुवजी के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रही...
मैं समझ गया था... फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे...कि अब तक क्यों नहीं आया  ?
ध्रुवजी ने आखिर थककर किसी को कह दिया कि... आज नहीँ आ सकता....

ध्रुवजी डोक्टर के जैसे व्यवहार करता था...उसे बगैर पूछे ही मालूम हो गया था कि, साब को हार्ट की तकलीफ होगी... लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU तरफ ध्रुवजी लेकर गया....

डॉक्टरों की टीम तो तैयार ही थी... मेरी तकलीफ सुनकर...सब टेस्ट शीघ्र कर लिए गए... डोक्टर ने कहा, आप समय पर पहुंच गए हो....
इस में भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया...वह आपके लिए बहुत फायदेमंद रहा...
अब... कोई भी प्रकार की राह देखना... वह आपके लिए हानिकारक होगा...इस लिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आप ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे...
इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है...
डोक्टर ध्रुवजी के सामने देखा...

मैंने कहा , बेटे, दस्तखत करना आता है  ?
साब इतनी बड़ी जवाबदारी मुझ पर न रखो...

बेटे... तुम्हारी कोई जवाबदारी नहीं है... तुम्हारे साथ भले ही खून का संबंध नहीं है... फिर भी बगैर कहे तुम ने तुम्हारी जवाबदारी पूरी की, वह जवाबदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी...
एक और जवाबदारी पूरी कर,  बेटा मैं नीचे लिखकर दस्तखत कर के दूंगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जवाबदारी मेरी है, ध्रुवजी ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर  किए हैं, बस अब. ..

और हां, घर फोन लगा कर खबर कर दो...

बस, उसी समय मेरे सामने,  मेरी पत्नी काव्या का मोबाइल ध्रुवजी के मोबाइल पर आया.
ध्रुवजी, शांति  से काव्या को सुनने लगा...

थोड़ी देर के बाद ध्रुवजी बोला,
मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल दो , मगर अभी अस्पताल ऑपरेशन के पहले पंहुच जाओ.
हा मैडम, मैं साब को अस्पताल लेकर आया हूं.
डोक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है, और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है...

मैंने कहा, बेटा घर से फोन था...?
हा साब.
मैं मन में सोचा, काव्या तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही है, और किस को निकालने की बात कर रही हो ?
आंखों में आंसू के साथ ध्रुवजी के कंधे पर हाथ रख कर, मैं बोला,  बेटा चिंता नहीं कर...

मैं एक संस्था में सेवाएं देता हूं, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है.
तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है...
बेटा. ..पगार मिलेगा, इसलिए चिंता ना कर.

ऑपरेशन बाद, मैं हौश में आया... मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था, मैं आंखों में आंसू के साथ बोला, ध्रुवजी कंहां है  ?

काव्या बोली-: वो अभी ही छुट्टी लेकर गांव गया, कह रहा था, उसके पिताजी हार्ट अटैक में गुज़र गया है... 15 दिन के बाद फिर से आएगा.

अब मुझे समझ में आया कि उसको मुझमें उसका बाप दिखता होगा. ..


हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया !

पूरा परिवार हाथ जोड़कर , मूक नतमस्तक माफी मांग रहा था...

एक मोबाइल की लत (व्यसन)...
अपनी व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेके जाता है... वह परिवार देख रहा था....

डॉक्टर ने आकर कहा, सब से पहले ध्रुवजी भाई आप के क्या लगते हैं ?

मैंने कहा डॉक्टर साहेब,  कुछ संबंधों के नाम या गहराई तक न जाएं तो ही ठीक रहता है, इससे उस संबंध की गरिमा बनी रहेगी.
बस मैं इतना ही कहूंगा कि, वो (ध्रुवजी) आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था.

पिन्टू बोला :- हमको माफ करो पप्पा... जो फर्ज़ हमारा था,  उसे ध्रुवजी ने पूरा किया, वह हमारे लिए शर्मनाक है, अब से ऐसी भूल  कभी भी नहीं होगी. ..

बेटा,जवाबदारी और नसीहत(सलाह) लोगों को देने के लिए ही होती है. ..
जब लेने की घड़ी आये, तब लोग ऊपर नीचे हो जातें है.


      अब रही मोबाइल की बात...
बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने, जीवित खिलौने को गुलाम कर दिया है, समय आ गया है, कि उसका मर्यादित उपयोग करना,

नहीं तो

परिवार समाज और राष्ट्र को उसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने तैयार रहना पड़ेगा.

परिवार के सदस्यों को समर्पित 

लेखक अज्ञात

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