सोमवार, 14 अगस्त 2023

छत्तीसगढ़ी लघुव्यंग्य-'कार्यकर्ता'

कइसे बेटा ? अठुरिया होगे। तोला एक ठन नानचुन काम जोंगे रेहेंव,तेला तो करवाय नइ अस ,उल्टा उही दिन ले घर मं रोवत बइठे रथस। तोर ओथरे मुंह,ओरमे गाल ये सबला देखके तो मोला संसो धर लेहे। कुछु फोर के बतावस घला निहि ??? दाई हा अपन मया पलावत गुरतुर भाखा मं बेसरम फुल कस मुरझुराय टूरा ला कांस के पुरखौती  थरकुलिया मं लाल चाहा अमरत किहीस।मन के बात गड़रिया जाने कथें तइसने बात तो आय दाई। जेन दिन ले मोला काम जोंगे हस न,तेने दिन ले ये संसो संचरे हे। इही काम कोनो दूसर के होतिस तब मोर कुछ कमई हो जतिस। ये मोर दाई के काम आय। एमा मोला का मिलना हे। जरुवत परही तब सौ-पचास अपन जेब ले लगाय बर परही। दाई ला पईसा कइसे मागंव? दाई के  काम आय,कइसे करवांव ? बस इही सब बात मियार के घूना कस मोला खावत हे दाई ऽ... ऽ ..ऽ..!अरे बेटा ,अतकी नानकुन बात बर अतेक बड़ संसो करत हस ? थूंके थूंक मं बरा नइ चुरय,येला महुं जानथों।अपन अंछरा के छोर मं बंधाय अलमारी के कुंची ला अपन टूरा कोती फेंकत दाई हा किहीस-जतका लागही,लगा लेबे। फेर एक बात महुं जानना चाहत हौं बेटा....? एकर पहिली तो अइसे कभू नइ काहत रेहेस। ये बखत अइसे का बात होगे तेमा...?

अब मैं पार्टी कार्यकर्ता बनगे हौं दाई। हाँ....,पार्टी कार्यकर्ता । दिल्ली के चाँदनी चंऊक के चौपाटी मं नावा नावा बिसाय नेहरु जाकिट के तरी मं पहिरे बंगाली के आस्तिन ला बांहा कोती चघावत टूरा हा अपन बात ला लमावत केहे लागिस।हमन ला पार्टी लाईन मं रहिके काम करना,करवाना परथे। 

अपन पार्टी गमछा ला डेरी खांध ले माई खांध में डारत फेर केहे लागिस।अब तोर हमर महतारी-बेटा, सोदर,हित-पिरीत,दोस्त-यार सब सिरिफ़ लेन-देन के नता-गोता रहिगे दाई।

पार्टी कार्यकर्ता...? यहा का पार्टी  कार्यकर्ता होथे रे ....? ऊपर संस्सु मारत ओकर दाई हा ठाढ़ चितियागे। ओला चन्दर धरलीस। देखो देखो होगे। सकलाय लोगन के बीच ओ बेटा हा अपन दाई ला पांचो-अमरित पियावत अपन मरे दाई के बहाना दू पईसा कमाय के उदीम सोंचत राहय....! अउ लोगन ओकर दाई के काठी-पानी के जोखा मं लगे राहंय।राम नाम सत्त हे ....!!

आस्तिन-बांही

बहाना- के नांव मं पढ़ें

बन्धु राजेश्वर राव खरे

'लक्ष्मण कुंज'

शिव मंदिर के पास,अयोध्यानगर

महासमुन्द (छ. ग.)

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